नईदिल्ली(ए)। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में हो रही देरी को टालने के लिए अब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोर्चा संभाल लिया है। इस क्रम में पीएम ने बुधवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, संगठन महासचिव बीएल संतोष और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ मैराथन बैठक की। बैठक में चुनाव की राह में रोड़ा बने उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्यों के संगठन चुनाव पर चर्चा हुई। राष्ट्रीय अध्यक्ष के जरिये भाजपा क्षेत्रीय समीकरणों को साधने को महत्व नहीं देगी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो भाजपा के विशाल नेटवर्क को कुशलता से संभाल सके। इस दौरान इसी हफ्ते कम से कम आधा दर्जन राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा करने पर सहमति बनी। गौरतलब है कि इन राज्यों में संगठन चुनाव नहीं होने के कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अगले महीने तक टलने के आसार बन रहे हैं। दरअसल लंबी कवायद और जद्दोजहद के बावजूद उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में संगठन चुनाव संपन्न नहीं हो पाया है। चुनाव प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए गृह मंत्री अमित शाह की पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, पीयूष गोयल के साथ मंगलवार देर रात तक मैराथन बैठक हुई थी। इसके बाद बुधवार को इन नेताओं की पीएम के साथ बैठक हुई। गौरतलब है कि महीनों कवायद के बाद भी पार्टी अब तक 15 राज्यों में ही संगठन चुनाव संपन्न करा पाई है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए राज्यों में चुनाव जरूरी
पार्टी सूत्रों ने बताया कि उपरोक्त बड़े राज्यों में संगठन चुनाव संपन्न हुए बिना राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभव नहीं है। राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल बनाना पड़ता है, जिसके सदस्य राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के सदस्य होते हैं। चूंकि इन बड़े राज्यों की राष्ट्रीय परिषद में हिस्सेदारी करीब 50% है। ऐसे में जब तक संगठन चुनाव नहीं होते, तब तक न तो राष्ट्रीय परिषद का कोटा भरा जा सकेगा और न निर्वाचक मंडल ही बनाया जा सकेगा।

इसलिए हो रही है चुनाव में देरी
उत्तर प्रदेश में केंद्रीय नेतृत्व तय नहीं कर पा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष पिछड़ा वर्ग से बनाया जाए या अगड़ा वर्ग से। दरअसल जिसे प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा, उसी के नेतृत्व में अगला विधानसभा चुनाव लड़ा जाएगा, इसलिए नेतृत्व बेहद सावधानी बरत रहा है। मध्यप्रदेश को छोड़ कर दूसरे बड़े राज्यों गुजरात और कर्नाटक को लेकर भी यही समस्या है।
कई स्तर पर बदलाव की रणनीति भी कारण
केंद्रीय नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ पार्टी की केंद्रीय टीम, केंद्रीय मंत्रिमंडल और पार्टी शासित कुछ राज्यों में मंत्रिमंडल विस्तार पर एक साथ मंथन कर रहा है। केंद्रीय टीम में नया नेतृत्व बनाने के लिए सचिवों और महासचिवों की टीम में कम से कम 50 फीसदी जगह युवाओं को देने पर मंथन हो रहा है। नेतृत्व की इच्छा संसदीय बोर्ड में वरिष्ठतम नेताओं को ही जगह देने की है। इसके अलावा इस साल बिहार और अगले साल केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रिमंडल में विस्तार की रूपरेखा भी तैयार कर रहा है।
15 राज्यों में चुनाव संपन्न मगर नहीं बन रही बात
राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए सिर्फ 19 राज्यों में संगठन चुनाव की शर्त नहीं है। चूंकि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद को मिला कर बनाया गया निर्वाचक मंडल करता है, ऐसे में जरूरी है कि बड़े राज्यों में संगठन चुनाव जरूर संपन्न हों। यही कारण है कि भाजपा अब तक 15 राज्यों में संगठन चुनाव संपन्न करा चुकी है, मगर इसके लिए जरूरी राष्ट्रीय परिषद का 50 फीसदी कोटा नहीं भर पा रही।