Home देश-दुनिया ‘यूरोप और पश्चिम एशिया के युद्धों ने भारतीय उद्यमियों के लिए पैदा किए अवसर’, सीडीएस जनरल अनिल चौहान बोले

‘यूरोप और पश्चिम एशिया के युद्धों ने भारतीय उद्यमियों के लिए पैदा किए अवसर’, सीडीएस जनरल अनिल चौहान बोले

by admin

नई दिल्ली(ए)। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को कहा कि यूरोप और पश्चिम एशिया में जारी युद्धों ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाधा खड़ी की है। लेकिन इन चुनौतियों ने भारतीय उद्यमियों के लिए नए अवसर भी पैदा किए हैं। सीडीएस चौहान ’21वें युवा भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन- गर्व से जियो’ को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे।  यूक्रेन और पश्चिम एशिया के संघर्षों का जिक्र करते हुए सीडीएस चौहान ने कहा, ‘इन दोनों युद्धों ने भू-राजनीतिक माहौल को प्रभाविताय किया है और वैश्विक आपूर्ति श्रृखंलाओं में बड़े व्यवधान पैदा किए हैं।’ हालांकि, उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं मानता हूं कि हर व्यवधान में एक अवसर छिपा होता है। खासकर औद्योगिक क्षेत्र में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में नए अवसर पैदा हुए हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि व्यवधानों को अवसरों में बदलने की चुनौती हमेशा बनी रहती है और इसके लिए भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखना जरूरी है।  सम्मेलन में एक हजार से अधिक प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए जनरल चौहान ने कहा, ‘भारत अब वैश्विक उद्यमों का प्रतीक बन चुका है और यह अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत के पास अब 1.26 लाख पंजीकृत स्टार्ट-अप्स हैं, जिससे यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम बन गया है। इसके अलावा, 12 हजार नए पेटेंट्स पंजीकृत किए गए हैं, जिनमें सेवा, संचार, आईटी और आईटीईएस शामिल हैं और इन क्षेत्रों में दस लाख से अधिक लोग रोजगार पा चुके हैं।’

जनरल चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विकसित भारत 2047’ दृष्टिकोण की भी सराहना की और कहा कि यह भारत को वैश्विक आर्थिक शक्तियों में शीर्ष स्थान दिलाने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब एक नौकरी पैदा करने वाले देश के रूप में पहचाना जाता है, न कि नौकरी ढूंढने वाले के रूप में। उन्होंने कहा, ‘दुनिया आत्मनिर्भर भारत की भूमिका पहचान रही है, जहां युवा और महिलाएं अहम भूमिका निभा रहे हैं।’

सीडीएस ने यह भी बताया कि साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स का विकास हो रहा है और भारतीय युवा उद्यमी क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए खुद के कौशल को बढ़ा रहे हैं। कुछ भारतीय स्टार्ट-अप्स तो उपग्रह लॉन्च कर रहे हैं।

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