Home देश-दुनिया भाजपा के सत्ता में आने से पहले उत्तर प्रदेश में आदिवासियों को वोट देने का अधिकार नहीं था: आदित्यनाथ

भाजपा के सत्ता में आने से पहले उत्तर प्रदेश में आदिवासियों को वोट देने का अधिकार नहीं था: आदित्यनाथ

by admin

नईदिल्ली(ए)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने से पहले उत्तर प्रदेश में आदिवासियों को वोट देने का अधिकार नहीं था और वामपंथी तथा मिशनरी उनको गुमराह (ब्रेनवॉश) करते थे। लखनऊ में आयोजित श्री गुरु गोरखनाथ स्वास्थ्य सेवा यात्रा 5.0 के सम्मान समारोह में उन्होंने कहा, ‘‘2017 से पहले आदिवासियों को वोट देने का अधिकार नहीं था। राशन कार्ड और संपर्क की सुविधा नहीं थी।”

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के सत्ता में आने के बाद थारू, मुसहर, कोल और गोंड समेत सभी जनजातियों को हर सुविधा मुहैया कराई गई। इतना ही नहीं, इससे पहले कुछ मिशनरी और वामपंथी आदिवासी समाज को गुमराह करते थे।” उन्होंने कहा कि 55 गांवों में वनटांगिया (समुदाय) के पास भी कोई अधिकार नहीं था और यह स्थिति राष्ट्र की सुरक्षा के लिए खतरा बन रही थी। उन्होंने कहा कि भले ही देश को 1947 में आजादी मिली हो, लेकिन 2017 से पहले वन विभाग और पुलिसकर्मी उनका शोषण करते थे। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब 2017 में भाजपा की सरकार आई तो इन गांवों को राजस्व गांव के रूप में मान्यता दी गई और धीरे-धीरे सभी योजनाएं वहां लागू की गईं।” उन्होंने कहा कि 2022 और 2024 के चुनावों में कई आदिवासी पहली बार वोट देने के लिए निकले हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अब हर गांव में सड़क है, हर घर में बिजली है, सभी को मकान मिल गए हैं। आंगनबाड़ी केंद्र खोले गए हैं, और स्कूल तथा स्वास्थ्य केंद्र बनाए जा रहे हैं। राशन, आयुष्मान योजना और पेंशन सहित हर सुविधा उन तक पहुंची है।” यात्रा के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की धार्मिक यात्राएं केवल आस्था का माध्यम नहीं हैं, बल्कि समाज को एक साथ जोड़ने का भी माध्यम हैं। बयान में कहा गया कि कार्यक्रम की शुरुआत आदित्यनाथ और मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने भगवान श्री धन्वंतरि, भारत माता, गुरु गोरखनाथ और स्वामी विवेकानंद को पुष्प अर्पित करके की।

होसबोले ने कहा, ‘‘भारत सेवा की भूमि है। सेवा और त्याग इसकी पहचान है।” उन्होंने कहा कि सेवा करने वाले हाथ प्रार्थना करने वाले से ज्यादा महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इस सेवा में लगे डॉक्टर बहुत ही सराहनीय काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उन लोगों के प्रति कृतज्ञता दिखानी चाहिए जो विकास की मुख्यधारा में पिछड़ गए हैं।” सेवा की भावना का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सेवा की भावना में कोई दीवार नहीं होती। कोई भेदभाव नहीं होता।

कोरोना के समय में गरीब मजदूर दूर-दूर से पैदल आ रहे थे। जब वे परेशान थे, तब भी वे अपना विनम्र और गरिमामय व्यवहार नहीं भूले।” उन्होंने कहा, ‘‘समाज ने भी उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और जगह-जगह उनकी सेवा की। उन्हें भोजन और आश्रय दिया। यही कारण है कि उस समय जहां कई देशों में भोजन के लिए दंगे हो रहे थे, वहीं भारत दंगों से अछूता रहा।” उन्होंने कहा कि प्रयागराज के महाकुंभ में भी सेवा की दृष्टि से नेत्र कुंभ का आयोजन कर हजारों लोगों की आंखों की जांच की गई। उन्हें दवाइयां और चश्मे दिए गए। ऐसे विचार तभी आते हैं, जब समाज के प्रति अपनेपन का भाव जागृत होता है।

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