नईदिल्ली(ए)। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है। नए नियम 1 अप्रैल 2026 से लागू होंगे। इन बदलावों का मकसद बैंकों की लिक्विडिटी स्थिति को मजबूत करना है ताकि किसी भी आर्थिक संकट के समय बैंक बेहतर तरीके से खुद को संभाल सकें। RBI ने सबसे पहले 25 जुलाई 2024 को LCR के नियमों में बदलाव को लेकर एक ड्राफ्ट जारी किया था। इस ड्राफ्ट के जरिए केंद्रीय बैंक ने बैंकों और अन्य वित्तीय हितधारकों से सुझाव मांगे थे। अब RBI ने इन सुझावों की समीक्षा के बाद संशोधित गाइडलाइंस जारी कर दी हैं।
डिजिटल खातों पर लगेगा अतिरिक्त रन-ऑफ रेट
नई गाइडलाइंस के अनुसार अब बैंकों को इंटरनेट और मोबाइल बैंकिंग से जुड़े रिटेल और छोटे व्यापारिक खातों पर अतिरिक्त 2.5% रन-ऑफ रेटलागू करना होगा। इसका मतलब है कि इन खातों से पैसे के अचानक निकलने की आशंका को देखते हुए बैंकों को अतिरिक्त लिक्विडिटी बनाए रखनी होगी।

छोटे कारोबारियों और ग्राहकों पर असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से डिजिटल बैंकिंग करने वाले ग्राहकों और छोटे व्यापारियों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि इससे बैंकिंग सिस्टम ज्यादा मजबूत और सुरक्षित बनेगा। इससे यह भी उम्मीद की जा रही है कि बैंक डिजिटली जुड़े खातों की निगरानी और रिस्क मैनेजमेंट को और बेहतर बनाएंगे।
क्या है LCR?
लिक्विडिटी कवरेज रेशियो (LCR) वह अनुपात होता है जो यह सुनिश्चित करता है कि बैंक कम से कम 30 दिनों की संभावित नकदी ज़रूरतों को उच्च गुणवत्ता वाली लिक्विड एसेट्स (HQLA) के ज़रिए पूरा कर सके। LCR का मकसद बैंकों को अचानक धन निकासी से बचाना होता है।