नई दिल्ली(ए)। मणिपुर के इंफाल ईस्ट और वेस्ट जिलों में गोलियों से छलनी दो शव बरामद किए गए। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि बरामद दो शवों में से एक शव महिला का है। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक, बुधवार को इंफाल वेस्ट जिले के ताइरेनपोकपी इलाके के आसपास अधेड़ उम्र की एक महिला का शव मिला, जिसके सिर पर गोली लगी थी। उन्होंने कहा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए इंफाल के क्षेत्रीय आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) भेजा गया है।
मृतक की आंखों पर पट्टी बंधी थी
एक अन्य अधिकारी के अनुसार, मंगलवार देर रात इंफाल ईस्ट जिले के ताखोक मापल माखा इलाके में एक व्यक्ति का शव मिला, जिसकी उम्र लगभग 40 वर्ष के आसपास है। उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद किया। पुलिस के मुताबिक, मृतक की आंखों पर पट्टी बंधी थी, उसके हाथ पीठ के पीछे बंधे हुए थे और सिर पर गोलियां लगने से बने घाव थे। उसने बताया कि शव को पहचान और पोस्टमार्टम के लिए इंफाल ईस्ट में जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान भेजा गया। अधिकारी ने कहा, ‘‘प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है और जांच जारी है।”
जानें क्या बोले प्रत्यक्षदर्शी
एक अन्य अधिकारी के अनुसार, समझा जाता है कि मृत महिला उन चार लापता व्यक्तियों में से एक है, जिनका हाल ही में इंफाल वेस्ट जिले के कांगचुप तलहटी से ‘‘अज्ञात लोगों द्वारा अपहरण” कर लिया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा था कि मेइती क्षेत्र में एक अलग समुदाय के अज्ञात व्यक्तियों की उपस्थिति से चिंतित होकर फेयेंग की महिलाओं सहित लोगों का एक समूह उनके बारे में पता लगाने के लिए कांगचुप पहाड़ी पर गया था। विशेष रूप से, मंगलवार को कांगचुप तलहटी में अज्ञात लोगों द्वारा की गई गोलीबारी में मणिपुर के दो पुलिस कर्मियों और एक महिला सहित कम से कम नौ लोग घायल हो गए।
अब तक 180 से अधिक लोगों की मौत
मई में पहली बार जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से मणिपुर बार-बार हिंसा की चपेट में आ रहा है। राज्य में मेइती समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद जातीय हिंसा भड़क गई थी, जिसमें अब तक 180 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है और वे ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।