Home छत्तीसगढ़ भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा कौशल विकास योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रशिक्षण, बनाया आत्मनिर्भर

भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा कौशल विकास योजना के अंतर्गत महिलाओं को प्रशिक्षण, बनाया आत्मनिर्भर

by Surendra Tripathi

सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र का सीएसआर विभाग सामाजिक उत्तरदायित्व के अपने विभिन्न गतिविधियों और कर्तव्यों के निर्वहन के लिए जाना जाता है, जिनमें से एक नारी सशक्तिकरण है। इसी क्रम में भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा छतीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के सहयोग से निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तत्वावधान में नारी सशक्तिकरण के तहत कौशल विकास योजना के अंतर्गत आसपास की ग्रामीण महिलाओं को वर्ष 2022-23 में विभिन्न प्रकार के कौशल विकास पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इन प्रशिक्षणों के माध्यम से कुल 243 महिलाएं लभान्वित हुई।

वर्ष 2022-23 में अब तक कुल 9 प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया जा चुका है। प्रत्येक प्रशिक्षण शिविर में 25 महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती हैं, जिनका चुनाव आवेदन के माध्यम से होता है। ये प्रशिक्षण तीन माह के लिए दिया जाता है, जिसमें इन महिलाओं को 3000 रूपए प्रतिमाह की दर से मानदेय भी प्रदान किया जाता है।

इसी क्रम में नारी सशक्तिकरण के मद्देनजर अनेक प्रकार के रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण हेतु भिलाई इस्पात संयंत्र द्वारा आयोजित महामाया माइंस के आसपास कुमुडकट्टा एवं कोपेडेरा गांव में हथकरघा प्रशिक्षण का उद्घाटन किया गया। यह प्रशिक्षण राजहरा महिला बुनकर समिति के सहयोग से संचालित किया गया। जिसके लिए ग्राम कोपेडेरा में 5 हथकरघा मशीन का उद्घाटन किया गया। इस हथकरघा प्रशिक्षण में कुल 43 महिलाओं को 1 महीने तक प्रशिक्षण दिया गया और प्रशिक्षण उपरांत आजीवन रोजगार दिए जाने के उद्देश्य से हथकरघा मशीन को उनके घर में स्थापित किया गया। हथकरघा प्रशिक्षण में लगने वाले उपकरण और कच्चे माल की आपूर्ति छत्तीसगढ़ हस्तशिल्प बोर्ड द्वारा किया जा रहा है।

ग्राम नन्दौरी में गोदना शिल्प, खम्हरिया में ड्राई फ्लावर, मरोदा बस्ती में शीशल शिल्प, रायपुर नाका में कशीदाकारी, दुल्की माइंस के ग्राम दुल्की में बाँस शिल्प का संचालन हो चुका है तथा वर्तमान में बोरई में ड्राई फ्लावर, पचपेड़ी में जुट शिल्प, छतौना हिर्री माइंस में गोदना शिल्प, कुमुडकट्टा एवं कोपेडेरा में हथकरघा प्रशिक्षण संचालित है। इन प्रशिक्षणों में सम्मिलित महिलाओं को सम्बंधित क्षेत्र में दैनिक जीवन में उपयोगी विविध घरेलू एवं सजावटी वस्तुओं के निर्माण हेतु रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण दिया जाता है। इन प्रशिक्षणों का अवलोकन महाप्रबंधक (सीएसआर) श्री शिवराजन नायर के निर्देशानुसार वरिष्ठ प्रबंधक (सीएसआर) श्री सुशील कुमार कामड़े, विकास सहायक (सीएसआर) श्रीमती रजनी रजक, सहायक (सीएसआर) श्री आशुतोष सोनी तथा टीम के सदस्यों के द्वारा किया जाता है।

छतीसगढ़ हस्तशिल्प विकास बोर्ड के सहयोग से निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तत्वाधान में आयोजित कौशल विकास योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण शिविर का उद्देश्य नारी सशक्तिकरण के साथ साथ महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है, जिससे ये ग्रामीण महिलाएं अपने परिवार में आर्थिक सहयोग कर सकें और देश की तरक्की में भी अपना योगदान दे सकें। इन प्रशिक्षणों में अधिकांशतः वनांचल और बीपीएल (गरीबी रेखा के नीचे) वर्ग से संबंधित महिलाएं शामिल हैं। आज ये सभी महिलाएं विविध सामग्री बनाने तथा रोजगार सृजन में सक्षम हैं और आत्मनिर्भर बन रही हैं।

इन उत्पादों में बाँस से बने ट्रे, मीरर फ्रेम, ब्रश होल्डर, कप स्टैंड, गुलदान, बाँस की कुर्सी एवं राउंड टी टेबल, दैनिक ग्राम्य जीवन की बहुउपयोगी वस्तु जैसे टूकनी, चरिहा, सुपा, पर्री-पर्रा, झापी, झोऊहाँ, कपड़ो पर जरदोजी, गोटापट्टी, मिरर, फुलकारी, चिकनकारी, कांथा आदि कढ़ाई से सुंदर डिजाइन बनाना, शीशल एवं जूट से बैग, मिररकेस, शोकेस, कछुआ, भगवान कृष्ण, हैण्ड पर्स, फैंसी चप्पल बनाना, गोदना शिल्प से गाँव में उपयोग किये जाने वाले प्रचलित गोदना डिजाइन को कपड़ों पर विभिन्न रंगों से उकेरना, ड्राई फ्लावर प्रशिक्षण में अनुपयोगी, व्यर्थ, पेड़ पौधों के पत्ते, डालियाँ और आसानी से घर में उपलब्ध सामग्री का उपयोग कर विभिन्न प्रकार का गुलदस्ता बनाना आदि सीखा रहे हैं।

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