कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) श्री एम एम गद्रे ने किया उद्घाटन
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 में महान स्वतंत्रता सेनानी, दार्शनिक, कवि, ऋषि और योगी श्री अरबिंदो की 150 वीं जयंती मनाने जा रहा है। इस अवसर पर नेहरू आर्ट गैलरी, सिविक सेंटर भिलाई में भिलाई इस्पात संयंत्र के सहयोग से दिनांक 25 अगस्त, 2022 तक चलने वाले श्री अरबिंदो योग साधना केंद्र, सेक्टर-7, भिलाई द्वारा श्री अरबिंदो के जीवन, कार्य और दृष्टि पर एक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। संयंत्र के जनसंपर्क विभाग द्वारा नेहरू आर्ट गैलरी, सिविक सेंटर, भिलाई में आयोजित इस प्रदर्शनी का उद्घाटन 23 अगस्त, 2022 को भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) श्री एम एम गद्रे जी के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। इस अवसर पर कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) श्री एम एम गद्रे जी द्वारा दीप प्रज्वलन करने के साथ ही श्री अरबिंदो की जीवनी पर आधारित स्मारिका का भी विमोचन किया। इसके साथ ही श्री गद्रे ने सम्पूर्ण प्रदर्शनी का गंभीरतापूर्वक अवलोकन किया। श्री गद्रे ने इस प्रदर्शनी की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
इस अवसर पर महाप्रबंधक (संपर्क प्रशासन एवं जनसम्पर्क) श्री जेकब कुरियन, कार्यपालक निदेशक (कार्मिक एवं प्रशासन) कार्यालय के महाप्रबंधक श्री एच शेखर, महाप्रबंधक (जनसम्पर्क) श्री प्रशान्त तिवारी एवं वरिष्ठ प्रबंधक (जनसम्पर्क) श्री जवाहर बाजपेयी उपस्थित रहे। इसके अतिरिक्त श्री अरबिंदो योग साधना केंद्र, सेक्टर-7, भिलाई की ओर से अध्यक्ष श्री अमरेश कुमार, सचिव श्री हेमंत कुमार बारीक, संस्थापक सदस्य श्री झाड़ुराम, श्री अमिताभ दत्ता, श्री ब्रह्मानंद जेना, श्री भवानी शंकर, श्री मारूति शंकर, श्रीमती रीता दत्ता, श्रीमती संचयिता राॅय आदि सदस्य विशेष रूप से मौजूद रहे।
श्री अरबिंदों योग साधना केन्द्र, भिलाई के मार्गदर्शन और भिलाई इस्पात संयंत्र के जनसंपर्क विभाग के सहयोग से यह प्रदर्शनी 25 अगस्त, 2022 तक प्रतिदिन संध्या 5.00 से रात्रि 8.30 बजे तक जनता के अवलोकनार्थ खुली रहेगी।
विदित हो कि श्री अरबिंदो का जन्म 1872 में हुआ और उनकी मृत्यु 1950 में हुई। वे एक योगी एवं दार्शनिक थे। वे 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता में जन्मे थे। इनके पिता एक डाक्टर थे। इन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में वह एक योगी बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। योग साधना पर मौलिक ग्रन्थ लिखे। उनका पूरे विश्व में दर्शन शास्त्र पर बहुत प्रभाव रहा है। यह वजह है कि उनकी साधना पद्धति के अनुयायी सब देशों में पाये जाते हैं। श्री अरबिंदो के पिता डॉक्टर कृष्णधन घोष उन्हें उच्च शिक्षा दिला कर उच्च सरकारी पद दिलाना चाहते थे, अतएव मात्र 7 वर्ष की उम्र में ही उन्होंने इन्हें इंग्लैण्ड भेज दिया। उन्होंने केवल 18 वर्ष की आयु में ही आईसीएस की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी। इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेजी, जर्मन, फ्रेंच, ग्रीक एवं इटैलियन भाषाओं में भी निपुणता प्राप्त की। श्री अरबिंदो एक महान योगी और गुरु होने के साथ साथ एक महान दार्शनिक भी थे। युवा-अवस्था में ही इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों के साथ मिलकर देश की आजादी में हिस्सा लिया था।