Home देश-दुनिया पत्रकारों के लिए तनाव से बचना बेहद जरूरी: प्रो. संजय द्विवेदी

पत्रकारों के लिए तनाव से बचना बेहद जरूरी: प्रो. संजय द्विवेदी

by Surendra Tripathi

कुरुक्षेत्र/नई दिल्ली-  भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र के राजयोग सेंटर में पत्रकारों के तनाव प्रबंधन हेतु आयोजित राजयोग मेडिटेशन सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि मीडिया को मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों के साथ चलना होगा, तभी समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का स्वपन पूरा होगा। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता का उद्देश्य लोक मंगल होना चाहिए। समाज को तनाव मुक्त करने के लिए पत्रकारों को विपरीत परिस्थितियों में काम करते हुए भी तनाव से बचना चाहिए।

इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज की कुरुक्षेत्र क्षेत्रीय प्रभारी बीके सरोज, संस्था के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी बीके सुशांत, भारतीय पत्रकार सुरक्षा संघ ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष इंजी. देवेश मिश्रा, राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश कुमार विश्वकर्मा, राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. विभुरंजन एवं प्रयागराज के जिला अध्यक्ष विपिन त्रिपाठी भी उपस्थित थे।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि देश और समाज में सकारात्मक परिवर्तन के लिए मीडियाकर्मियों को सक्रिय पहल करनी होगी। यह तभी संभव है, जब पत्रकार अपने तन और मन को तनाव मुक्त करने के लिए अपनी दिनचर्या में मेडिटेशन को शामिल करें।

आईआईएमसी के महानिदेशक के अनुसार अपनी जान जोखिम में डाल कर 24 घंटे और बिना किसी अवकाश के काम करने वाले पत्रकारों को अहंकार से बचना चाहिए। अहंकार से हमारे तन और मन दोनों का नुकसान होता है। यहां तक कि यदि हम काम से घर लौटते वक्त भी तनाव में रहेंगे, तो इसका असर हमारी पारिवारिक जिंदगी पर भी पड़ेगा।

प्रो. द्विवेदी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित इस सेमिनार का उद्देश्य तभी पूर्ण होगा, जब सभी पत्रकार एकजुट होकर सकारात्मक दिशा में कार्य करेंगे। देश की आजादी की शताब्दी आने में जो 25 वर्ष शेष हैं, उनमें हमें अपनी कार्यक्षमता दिखानी होगी, क्योंकि आने वाली पीढ़ी इसके लिए हम से जवाब मांगेगी।

ब्रह्माकुमारीज के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी एवं सेमिनार की अध्यक्षता कर रहे बीके सुशांत ने कहा कि पश्चिमी संस्कृति को अपनाते हुए हम गुलाम मानसिकता का शिकार हो रहे हैं। भारत को आत्मनिर्भर बनाने से पहले देश के हर नागरिक को आत्मनिर्भर होना होगा। पत्रकारिता में आध्यात्मिकता का प्रवेश करके ही पत्रकार समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पत्रकारों को समस्याओं की तह तक जाते हुए उसका कारण और निवारण प्रस्तुत करना होगा। आध्यात्मिकता के द्वारा आत्मबल बढ़ाना होगा। आत्मशक्ति को जागृत करते हुए पत्रकार अपने खोए हुए सुख और शांति को प्राप्त कर सकते हैं। दया और करुणा को जागृत कर मीडियाकर्मी आध्यात्मिकता के द्वारा अपने जीवन में सुधार ला सकते हैं।

ब्रह्माकुमारीज की कुरुक्षेत्र क्षेत्रीय प्रभारी बीके सरोज ने आए हुए सभी अतिथियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि पत्रकारों को तनाव मुक्त रहने के लिए आत्मिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक शक्तियों को बढ़ाने की आवश्यकता है। मन और बुद्धि के संगम से ही पत्रकार तनाव मुक्त रह कर समाज के लिए हितकारी साबित हो सकते हैं।

इस अवसर पर उन्होंने केंद्र की ओर से आए हुए सभी अतिथियों एवं पत्रकारों को स्मृति चिह्न प्रदान किए। सेमिनार में बड़ी संख्या में पत्रकारों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन बीके मधु और जसबीर सिंह दुग्गल ने किया।

Share with your Friends

Related Posts