नई दिल्ली– श्रीराम को लोक व्यवहार का ज्ञाता बताते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल ने कहा है कि राम के लिए जंगल जाने का वरदान मांगने वाली कैकेयी के प्रति राम के मन में कभी कोई दुर्भाव नहीं रहा। राम का पूरा जीवन मानवीय मूल्यों की सीख देता है। जस्टिस गोयल सोमवार को अयोध्या शोध संस्थान, भारतीय जन संचार संस्थान एवं भोजपुरी संगम के संयुक्त तत्वावधान में ‘प्रवासी देशों में राम’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी, भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी, भारतीय विकास परिषद के संगठन मंत्री सुरेश जैन, अंतरराष्ट्रीय कथावाचक कृष्णकांत द्विवेदी, श्री श्री रुकमणि द्वारकाधीश मंदिर, दिल्ली के अध्यक्ष अमोघ लीला दास, कोरोना वैक्सीन के शोध कार्य से जुड़े रहे एम्स के प्रो. संजय राय, वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री, ओएनजीसी, नई दिल्ली के मुख्य महाप्रबंधक शिवेंद्र दत्त शुक्ल एवं भोजपुरी संगम के संपादक अजीत सिंह उपस्थित थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए जस्टिस गोयल ने कहा कि मानव का कल्याण उसकी मानवता पर ही निर्भर होता है। लेकिन समाज आज इससे भटक रहा है कि मानवता क्या है। उसे याद कराने का सबसे बेहतर माध्यम रामकथा ही है। उन्होंने कहा कि अपनी खुशी को दूसरे की खुशी के लिए न्यौछावर कर देना राम की संस्कृति है। जब पूरी दुनिया राम के जीवन मूल्यों को अपनाएगी, तब विश्व का कल्याण होगा।
राम का जीवन ही है उनका संदेश: श्री अमोघ लीला दास
श्री श्री रुकमणि द्वारकाधीश मंदिर, दिल्ली के अध्यक्ष अमोघ लीला दास ने कहा कि राम अपने व्यवहार से पूरी दुनिया को संदेश देते हैं। राम सब पर कृपा करते हैं। वे किसी से भेदभाव नहीं करते। राम शबरी के झूठे बेर भी खाते हैं और निषाद को गले लगाकर उन्होंने अपना भाई भी बनाते हैं। उन्होंने कहा कि रामकथा का आनंद सभी के साथ आता है। माता-पिता को अपने बच्चों को राम की कहानी सुनानी चाहिए, जिससे भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण हो सके। श्री दास के अनुसार आज हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 119 है। इसका कारण है कि हम राम से दूर जा रहे हैं और पश्चिमी सभ्यता को अपना रहे हैं। भारतीयों को अपनी संस्कृति पर गर्व करना चाहिए।
लाइफ मैनेजमेंट के आधार हैं राम: सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी
इस अवसर पर भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के महानिदेशक सुरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि पूरे विश्व में लाइफ मैनेजमेंट के तौर पर राम के जीवन मूल्यों को समझाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राम ने कोई ग्रंथ नहीं लिखा। उन्होंने खुद को ईश्वर का अवतार बताकर समाज से बुराइयां मिटाने का अभियान भी नहीं चलाया। उन्होंने अपना जीवन ही ऐसा बनाया कि लोग उससे प्रेरणा लें।