नई दिल्ली | भारत के पड़ोसी देश म्यांमार से बड़े राजनीतिक उठा-पटक की खबर आ रही है। म्यामांर की सबसे बड़ी नेता आंग सान सू की, राष्ट्रपति और सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिया गया है और बताया जा रहा है कि सेना तख्तापलट कर दिया है। म्यामांर मिलिट्री टेलीविजन के मुताबिक, सेना ने एक साल के लिए देश को अपने नियंत्रण में ले लिया है। बताया जा रहा है कि ये कदम सरकार और शक्तिशाली सेना के बीच बढ़ते तनाव के बाद उठाया गया है जो चुनाव के बाद भड़की हुई है। बताया जा रहा है कि सेना ने आंग सान सू की को हाउस अरेस्ट के तहत हिरासत में ले लिया है। इतना ही नहीं, म्यांमार की राजधानी Naypyitaw में संचार के सभी माध्यमों को बैन कर दिया गया है। फोन और इंटरनेट सर्विस को निलंबिद कर दिया गया है और आंग सान सू की की पार्टी नेशनल लीग डेमोक्रेसी पार्टी तक एक्सेस को भी खत्म कर दिया गया है। म्यांमार में तख्ता पलट की आशंका के बीच स्टेट काउंसलर आंग सान सू की के साथ-साथ राष्ट्रपति विन म्यांत को हिरासत में लिया गया है।
नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी के प्रवक्ता मायो न्यांट ने बताया कि म्यांमार की काउंसलर आंग सान सू की और देश की सत्तारूढ़ पार्टी के अन्य वरिष्ठ लोगों को सुबह हुई छापेमारी में हिरासत में लिया गया है। बता दें कि पिछले वर्ष आठ नवंबर को हुए आम चुनाव में व्यापक धांधली के बाद सेना द्वारा जनवरी में तख्ता पलट की आशंका व्यक्त की जा रही थी।
हालांकि, इससे पहले म्यांमार की सेना ने अपने प्रमुख के उन विवादित बयानों को बीते दिनों खारिज कर दिया था, जिन्हें तख्तापलट की चेतावनी माना जा रहा था। सेना ने दावा किया था कि मीडिया ने उनके बयान की गलत व्याख्या की है। म्यांमार की सेना के एक प्रवक्ता ने पिछले सप्ताह कहा था कि अगर पिछले साल नवंबर में हुए चुनाव में व्यापक स्तर पर हुई धांधली की सेना की शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता है तो तख्तापलट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इस बयान के बाद म्यांमा में राजनीतिक चिंताएं बढ़ गईं थीं।
कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन ऑंग लैंग ने बुधवार को अपने भाषण में वरिष्ठ अधिकारियों से कहा था कि अगर कानूनों को सही ढंग से लागू नहीं किया गया तो संविधान को रद्द किया जा सकता है। इसके अलावा विभिन्न बड़े शहरों की सड़कों पर सैन्य वाहनों की असामान्य तैनाती से चिंताएं और बढ़ गई थीं। सेना की ओर से शनिवार को जारी बयान में कहा गया है कि कुछ संगठनों और मीडिया ने बिना किसी आधार के दावा किया कि सेना ने संविधान को रद्द करने की चेतावनी दी है। मिन ऑंग लैंग के भाषण को सही संदर्भ में नहीं लिया गया। वास्तव में वह संविधान की प्रकृति को लेकर उनके विचार थे।
म्यांमार में आठ नवंबर को हुए चुनाव में सत्तारूढ़ ‘नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी’ को 476 में से 396 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जिसके बादा ‘स्टेट काउंसलर’ आंग सान सू ची को पांच और वर्षों के लिये सरकार बनाने का मौका मिल गया था। सेना के समर्थन वाली ‘यूनियन सॉलिडेरिटी एंड डेवलपमेंट’ पार्टी को केवल 33 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। सेना कई बार सार्वजनिक रूप से चुनाव में धांधली के आरोप लगा चुकी है। साथ ही उसने सरकार और केन्द्रीय चुनाव आयोग से नतीजों की समीक्षा करने का भी आग्रह किया है।