नईदिल्ली(ए)। देश के शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने नई दिल्ली में आयोजित एक बहु-दिवसीय सम्मेलन के दौरान नौसेना कमांडरों के साथ परिचालन वातावरण का आकलन साझा किया। इस दौरान उन्होंने उभरती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए तीनों सेनाओं (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) के बीच मजबूत सहयोग और त्रि-सेवा एकीकरण पर जोर दिया। नौसेना कमांडर सम्मेलन 2025 का पहला चरण 6 अप्रैल को कर्नाटक के रणनीतिक कारवार बेस में आयोजित हुआ, जबकि दूसरा चरण 7 से 10 अप्रैल तक दिल्ली में संपन्न हुआ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 6 अप्रैल को कारवार में नौसेना के शीर्ष कमांडरों के साथ भारतीय नौसेना की परिचालन तैयारियों और समुद्री सुरक्षा स्थिति की समीक्षा की।
शीर्ष सैन्य नेतृत्व ने किया
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने सम्मेलन के दौरान नौसेना कमांडरों को सात प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया, जिनमें युद्ध और लड़ाकू दक्षता, बेड़े रखरखाव, परिचालन रसद, नई तकनीकों का एकीकरण और अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग शामिल हैं। उन्होंने परिचालन और संगठनात्मक चपलता सुनिश्चित करने और एक संतुलित कार्यबल विकास कार्यक्रम पर भी जोर दिया।

सम्मेलन में नौसेना कमांडरों ने रक्षा स्टाफ प्रमुख जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के साथ विचार-विमर्श किया। एक नौसेना प्रवक्ता ने शुक्रवार को बताया कि इन नेताओं ने परिचालन वातावरण का आकलन साझा करते हुए त्रि-सेवा सहयोग के माध्यम से उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयारियों को रेखांकित किया।
थल सेना प्रमुख ने नौसेना कमांडरों को किया संबोधित
भारतीय नौसेना ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर सम्मेलन के विवरण साझा किए। थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सम्मेलन में नौसेना कमांडरों को संबोधित किया। उन्होंने सुधारों के वर्ष के दौरान प्रौद्योगिकी अवशोषण और राष्ट्र निर्माण के लिए दोहरे उपयोग वाली बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर दिया।
क्रॉस-डोमेन एकीकरण, अनुसंधान और विकास, और ग्रे जोन संचालन में उभरते रुझानों पर भारतीय नौसेना के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ चर्चा हुई। नौसेना ने इस बातचीत की कुछ तस्वीरें भी साझा कीं। यह सम्मेलन तीनों सेनाओं के बीच एकीकरण और समन्वय को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।