पहली बार पेपरलेस बजट,
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण जारी है। विपक्ष की नारेबाजी के बीच बजट भाषण की शुरुआत करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा, “मैं 2021-22 का बजट पेश कर रही हूं। लॉकडाउन खत्म होते ही प्रधानमंत्री ने गरीब कल्याण योजना की घोषणा की थी, जिसने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज दिया था। 8 करोड़ लोगों को फ्री रसोई गैस मिली। मैं उन लोगों का शुक्रिया अदा करती हूं, जो लोगों तक बुनियादी सेवाएं पहुंचाने के काम में लगे रहे। बाद में हम दो और आत्मनिर्भर भारत पैकेज लेकर आए। हमने GDP का 13% हिस्सा यानी 27.18 लाख करोड़ रुपए की कुल राहत दी।”
वित्त मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना और तीन आत्मनिर्भर पैकेज मिलाकर 5 मिनी बजट जैसे थे। इससे ढांचागत सुधार आए। एक देश, एक राशन कार्ड, इंसेटिव स्कीम्स जैसे कई सुधार लाए गए। आज भारत के पास दो वैक्सीन हैं। 100 से ज्यादा देश हमारी ओर देख रहे हैं। दो और वैक्सीन जल्द आने वाली हैं। हम वैज्ञानिकों के शुक्रगुजार हैं। हमें ये बातें बार-बार याद दिलाती हैं कि कोरोना के खिलाफ जंग 2021 में भी जारी रहेगी।”
टीम इंडिया की जीत का जिक्र
सीतारमण ने कहा कि आज भारत उम्मीदों का देश बना हुआ है। रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था कि उम्मीद एक ऐसा पक्षी है, जो अंधेरे में भी चहचहाता है। टीम इंडिया ने हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में जबर्दस्त प्रदर्शन किया। इसने हमें याद दिलाया कि हम लोगों में किस तरह की क्वालिटी है। आज डेटा बताता है कि भारत में कोरोना की वजह से सबसे कम मृत्युदर है। यही सारी बातें इकोनॉमी के कायापलट की निशानी हैं। अब तक तीन बार ही बजट GDP के निगेटिव आंकड़ों के बाद पेश हुआ है। इस बार निगेटिव आंकड़े दुनियाभर में आई महामारी की वजह से हैं।
वित्त मंत्री मेड इन इंडिया टैब से बजट स्पीच पढ़ रही हैं, क्योंकि पहली बार बजट को पेपरलेस रखा गया है। उधर, कांग्रेस के कुछ सांसद नए कृषि कानूनों के विरोध में काले कपड़े पहनकर संसद पहुंचे हैं।
कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल और गुरजीत सिंह औजला काला गाउन पहनकर संसद पहुंचे। उन्होंने किसानों के समर्थन में लिखी पट्टी भी लगा रखी है।
कांग्रेस सांसद जसबीर सिंह गिल और गुरजीत सिंह औजला काला गाउन पहनकर संसद पहुंचे। उन्होंने किसानों के समर्थन में लिखी पट्टी भी लगा रखी है।
संसद आने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। बजट के लिए सबसे पहले राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है।
संसद आने से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और उनकी टीम ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात की। बजट के लिए सबसे पहले राष्ट्रपति की मंजूरी लेनी होती है।
इस बजट से आम लोगों और कारोबारी जगत, दोनों को काफी उम्मीदें हैं। उम्मीद की वजह पिछले साल 18 दिसंबर का उनका बयान है। उन्होंने कहा था कि इस बार जैसा बजट पिछले 100 साल में नहीं आया होगा। 29 जनवरी को संसद में पेश इकोनॉमिक सर्वे में इसके लिए कई संकेत दिए गए हैं। अगर बजट इन्हीं संकेतों के मुताबिक रहा तो इसमें ये खास बातें दिख सकती हैं…
इकोनॉमिक सर्वे तैयार करने वाले मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने कहा था, ‘समय आ गया है जब सरकार अपना खर्च बढ़ाए और लोगों पर टैक्स का बोझ कम करे।’ हालांकि, निजी कंपनियां अभी खर्च बढ़ाने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए सरकार को ही खर्च बढ़ाना पड़ेगा। लेकिन खर्च के लिए सरकार के पास पैसे की कमी है। इसलिए टैक्स में राहत की उम्मीद भी कम है। उल्टा कोरोना-सेस लगाने की चर्चा है, भले ही यह ज्यादा कमाई वालों और कंपनियों पर लगे।
सुपर रिच पर कोरोना सेस लगाने से सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा
ऑक्सफैम का आकलन है कि भारत के 954 सबसे अमीर परिवारों पर अगर 4% टैक्स लगाया जाता है तो GDP के 1% के बराबर यानी करीब 2 लाख करोड़ रुपए रेवेन्यू मिल सकता है। इस तरह का सेस या सरचार्ज लगाने पर उससे मिलने वाला पैसा केंद्र सरकार के पास ही रहता है, राज्यों को उसमें से हिस्सा नहीं मिलता।
नई टैक्स व्यवस्था में बढ़ सकती है छूट
पिछले साल इनकम टैक्स की नई व्यवस्था लागू की गई थी। इसमें NPS यानी नेशनल पेंशन सिस्टम के अलावा और कोई छूट नहीं है। इसलिए बहुत कम लोगों ने इस विकल्प को चुना। सरकार ने इसका कोई आंकड़ा नहीं बताया है। वित्त मंत्री आज इस बारे में कोई आंकड़ा दे सकती हैं।
नई व्यवस्था को आकर्षक बनाने के लिए PF, LTC और डोनेशन पर टैक्स में छूट दी जा सकती है। कुछ घोषणाओं पर कोरोना का असर भी दिख सकता है। जैसे, वर्क फ्रॉम होम से जुड़े खर्चे के कारण नौकरीपेशा लोगों के लिए स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50 हजार रुपए से बढ़ाई जा सकती है। सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर मिलने वाले टैक्स बेनिफिट को भी बढ़ाया जा सकता है। 80C के तहत इन्वेस्टमेंट की लिमिट 1.5 लाख रुपए है। इसे भी बढ़ाने के सुझाव सरकार को मिले हैं।
कोरोना की वजह से हेल्थकेयर पर खर्च दोगुना हो सकता है
हेल्थकेयर पर खर्च सबसे ज्यादा बढ़ने की संभावना है। कोरोना वैक्सीन पर 25-30 हजार करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान है। हेल्थ बजट पिछली बार 67,484 करोड़ रुपए का था। इसे दोगुना किया जा सकता है। नेशनल हेल्थ पॉलिसी 2017 में केंद्र की तरफ से हेल्थकेयर पर GDP का 2.5-3% तक खर्च करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन 2019-20 में यह 1.5% तक ही पहुंच सका। वर्ल्ड हेल्थ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक, हेल्थ पर सरकारी खर्च के मामले में 189 देशों की रैंकिंग में भारत 179वें स्थान पर है।
हेल्थकेयर पर सरकार ने बजट बढ़ाया तो लोगों का खर्च बचेगा
अभी सेहत पर होने वाले कुल खर्च में लोगों की जेब से 65% जाता है। सर्वे के अनुसार सरकार ने खर्च बढ़ाया तो लोगों की जेब से होने वाला खर्च घटकर 30% रह जाएगा।
कृषि कर्ज का लक्ष्य 19 लाख करोड़ हो सकता है
किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए खेती-किसानी पर विशेष ध्यान दिया जा सकता है। पीएम किसान योजना में अभी हर साल 6,000 रुपए मिलते हैं। यह 2,000 रुपए बढ़ सकता है। कृषि कर्ज के लिए 19 लाख करोड़ रुपए का नया लक्ष्य तय किया जा सकता है। यह पिछले साल 15 लाख करोड़ रुपए था।
किफायती घर पर छूट बढ़ सकती है
इकोनॉमी में मांग बढ़ाने के लिए किफायती घर खरीदने पर इन्सेंटिव दिया जा सकता है। और कुछ नहीं तो सरकार पिछले साल की तरह ब्याज पर 1.5 लाख रुपए तक अतिरिक्त छूट को और एक साल के लिए बढ़ा ही सकती है। यानी इनकम टैक्स कैलकुलेशन में होम लोन पर ब्याज में जो 2 लाख रुपए की छूट मिलती है, उसे बढ़ाकर कुल साढ़े तीन लाख रुपए कर दिया गया था।
छात्रों को मुफ्त स्मार्टफोन और टैबलेट
कोरोना की वजह से करीब सालभर से ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर है। सर्वे के मुताबिक, दो साल पहले 36.5% ग्रामीण छात्रों के पास स्मार्टफोन, लैपटॉप या कंप्यूटर थे, अब 61.8% के पास हैं। इसे और बढ़ाने के लिए गांव के छात्रों को स्मार्टफोन और टैबलेट मुफ्त में देने की कोई स्कीम लाई जा सकती है।
प्रवासी मजदूरों के लिए आ सकती है स्कीम
कोरोना की वजह से असंगठित क्षेत्र के मजदूर ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ने दिसंबर में ग्लोबल वेज रिपोर्ट 2020-21 जारी की थी। इसके मुताबिक, संगठित क्षेत्र में वेतन 3.6% कम हुआ है, लेकिन असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों की कमाई 22.6% घट गई है। दूसरी ओर कर्मचारियों की छंटनी और दूसरे खर्चे घटाने से लिस्टेड कंपनियों का प्रॉफिट 25% तक बढ़ा है। बजट में प्रवासी मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए कुछ घोषणाएं हो सकती हैं।
आत्मनिर्भर भारत के लिए बढ़ सकती है इंपोर्ट ड्यूटी
आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कुछ चीजों पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाई जा सकती है। पिछली बार भी मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल्स पार्ट्स समेत कई चीजों पर ड्यूटी बढ़ाई गई थी। इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने पर विदेश से आने वाला सामान महंगा होता है। इससे देश में बनने वाले सामान की बिक्री बढ़ जाती है। छोटे कारोबारियों के लिए GST के नियम आसान बनाए जा सकते हैं।
पिछले साल बजट के दिन शेयर बाजार करीब 2.5% गिरा था
बजट के दिन शेयर बाजार में काफी उतार-चढ़ाव देखे जाते हैं। मोदी सरकार के पिछले 6 बजट में से 4 बार बाजार नुकसान में रहा। इनमें एक अंतरिम बजट भी शामिल था। पिछले साल बजट के दिन (1 फरवरी) बाजार 2.43% गिरावट के साथ बंद हुआ था।
इकोनॉमी की रिकवरी टीम इंडिया के परफॉर्मेंस जैसी
मुख्य आर्थिक सलाहकार सुब्रमणियन ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की तेज रिकवरी ऑस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम की परफॉर्मेंस की तरह है। यह बात उन्होंने इस संदर्भ में कही थी कि सिर्फ 36 रनों पर पूरी टीम के आउट होने के बाद भारत ने कैसे 4 मैचों की सीरीज 2-1 से जीत ली।