नई दिल्ली | कोरोना से जंग के लिए वैक्सीन को सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है लेकिन यूके के एक ट्रायल में यह पता लगा है कि दुनियाभर में पर्याप्त मात्रा में मौजूद गठिया कि दो दवाएं कोरोना से होने वाली मौतों को घटा सकती हैं। ये दवाएं tocilizumab और sarilumab हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इन दवाओं के इस्तेमाल से कोरोना से होने वाली मौत का जोखिम 24 प्रतिशत कम होता है और इंटेसिव केयर यूनिट यानी आईसीयू में रहने की अवधि भी घट रही है।
यह जानकारी REMAP-CAP ट्रायल से मिली है। यूके के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जिन मरीजों को यह दवाई दी गई है उन्हें 7 से 10 दिन के अंदर आईसीयू से छुट्टी मिल गई जो आईसीयू में बिताए औसत दिनों से कम हैं। दवा के इस्तेमाल को लेकर क्या सावधानी बरतनी है इसके बारे में शुक्रवार को जानकारी दी जाएगी।
हेल्थ सेक्रटरी मैट हैन्कॉक ने बताया, ‘आज के परिणाम इस महामारी से लड़ने के रास्ते खोजने में एक अहम पड़ाव है और जब दुनियाभर में वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दी जा रही हो वैसे में यह दवाइयां वायरस को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।’
बीते साल यूके सरकार ने Dexamethasone दवा को कोविड-19 की वजह से होने वाली मौतों की संख्या को घटाने में कारगर बताया था। यह दवा आम तौर पर त्वचा से जुड़ी बीमारियों, भयानक एलर्जी, अस्थमा, फेफड़ों से जुड़ी बीमारी, दिमागी सूजन जैसी स्थितियों में दी जाती है। REMAP-CAP ट्रायल में पता लगा है कि जिन लोगों को इंटेंसिव केयर यूनिट में dexamethasone दी जा रही है उनमें मृत्यु दर 35 प्रतिशत थी लेकिन जब इन्हें गठिया की दवाएं दी गई तो यह दर घटकर 28 प्रतिशत तक आ गई।