जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा और कुलगाम जिलों में रविवार को सुरक्षाबलों के साथ दो अलग-अलग मुठभेड़ों में चार आतंकवादी मारे गये। पुलिस ने…
देश-दुनिया
-
-
” सूरज और पिता की गर्मी बर्दाश्त करना सीखिए , जब ये डूब जाते हैं तो सभी ओर अंधेरा हो जाता है…
-
दिल्ली- केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पारिस्थितिकी, पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत पर…
-
देश-दुनिया
बाल स्वास्थ्य पर प्रभावी रिपोर्टिंग के लिए क्रिटिकल अप्रैजल स्किल्स और साक्ष्य आधारित पत्रकारिता पर कार्यशाला
हैदराबाद- मौलाना आजाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (एमएएनयूयू) के जनसंचार और पत्रकारिता विभाग (एमसीजे) द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से साक्ष्य आधारित स्वास्थ्य पत्रकारिता पर दो दिवसीय कार्यशाला का आज यहां समापन हुआ। एमएएनयूयू, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन (आईआईएमसी) और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पत्रकारिता और जनसंचार विभाग के 120 से अधिक छात्रों और स्वास्थ्य पत्रकारों ने यूनिसेफ के क्रिटिकल अप्रैजल स्किल्स (CAS) के माध्यम से स्वास्थ्य पत्रकारिता में साक्ष्य–आधारित रिपोर्टिंग और तथ्य–जांच के महत्व को सीखा। कार्यशाला के माध्यम से नियमित टीकाकरण, कोविड-19 टीकाकरण, एंटीबायोटिक्स, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल जैसे क्षेत्रों में साक्ष्य–आधारित पत्रकारिता के महत्व पर चर्चा करने के लिए सीएएस के चिकित्सकों, पत्रकारिता के छात्रों और विषय विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया। 2014 में यूनिसेफ द्वारा ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी, थॉमसन रॉयटर्स और आईआईएमसी के सहयोग से काम करने वाले स्वास्थ्य पत्रकारों और पत्रकारिता एवं जन संचार के छात्रों के लिए विकसित सीएएस कार्यक्रम को बाद में आईआईएमसी और एमएएनयूयू द्वारा अपने पाठ्यक्रम में एक वैकल्पिक मॉड्यूल के रूप में शामिल किया गया था। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए एमएएनयूयू के कुलपति, प्रो सैयद ऐनुल हसन ने कहा, “हाल की महामारी ने दुनिया का ध्यान स्वास्थ्य संचार के महत्व की ओर आकर्षित किया है। टीकाकरण पर जागरुकता बढ़ाने के लिए मीडिया महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हालाँकि, हमारे कई पत्रकार गैर–चिकित्सा पृष्ठभूमि से आते हैं, इसलिए सीएएस कार्यक्रम के माध्यम से पत्रकारों को स्वास्थ्य पत्रकारिता में प्रशिक्षित करने और जनता के बीच वैज्ञानिक मानसिकता को प्रोत्साहित करने में मदद मिलती है। ” उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए यूनिसेफ इंडिया के एडवोकेसी, कम्युनिकेशन एंड पार्टनरशिप के प्रमुख जाफरीन चौधरी ने कहा, “यूनिसेफ लंबे समय से मीडिया के साथ मिलकर सर्वसम्मति और लोगों को शिक्षित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका पर काम कर रहा है। गलत सूचना से बचाव के लिए सटीक, संतुलित, विश्लेषणात्मक रिपोर्टिंग और तथ्य जांच के लिए मीडिया पेशेवरों में कौशल को मजबूत करने के लिए 2014 में महत्वपूर्ण ‘ क्रिटिकल अप्रैजल स्किल्स पाठ्यक्रम‘ विकसित किया गया था। इसका उद्देश्य बच्चों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर सटीक और विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट्स को बढ़ावा देना है, जैसे टीकाकरण, माता–पिता को अपने बच्चों का टीकाकरण करवाने और उन्हें बचपन की बीमारियों से बचाने के लिए सही जानकारी और आत्मविश्वास प्रदान करना है।“ जागरूकता की कमी, भय के माहौल और टीकाकरण के बारे में गलत धारणाएं कोविड-19 और नियमित टीकाकरण के समक्ष कुछ प्रमुख चुनौतियाँ रही हैं।
-
नयी दिल्ली। दिल्ली पुलिस द्वारा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ के खिलाफ धारा 144 का…
-
दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम साउथ अफ्रीका के खिलाफ 5 मैचों की टी20 सीरीज खेलने के बाद आयरलैंड के साथ टी20 सीरीज खेलेगी।…
-
रायपुर. अनेक गुणों से भरपूर लौकी भारतीय बाजारों में आसानी से उपलब्ध होती है। भारतीय व्यंजनों में लौकी का खूब इस्तेमाल किया…
-
देश-दुनियाफीचर्ड
मुख्यमंत्री से मिलकर राहुल की माँ हुईं भावुक, बोलीं आपकी टीम ने पत्थरों को चीरकर मेरे बेटे को दिया नया जीवन
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राहुल को देखने जब बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल पहुँचे तो भावनाओं का समंदर उमड़ पड़ा । जनप्रतिनिधि, अधिकारी, डॉक्टर,…
-
बीते दो साल से अधिक समय से कोरोना महामारी वैश्विक चिंता का विषय बनी हुई है। विशेषज्ञ भी ये कहने की स्पष्ट…
-
झारखंड ने भी रांची हिंसा के आरोपियों की तस्वीरों वाले पोस्टर जारी किए हैं। इन पोस्टरों में पत्थर फेंकते हुए कुछ लोग…