” सूरज और पिता की गर्मी बर्दाश्त
करना सीखिए ,
जब ये डूब जाते हैं तो सभी ओर
अंधेरा हो जाता है ।”
परिवार में सशक्त भूमिका रखने वाला पिता हर कदम लोगो की नजर में रहता है । उसके व्यवहार से लेकर समाज में उसकी प्रतिष्ठा परिजनों के लिए सबसे अधिक महत्व रखती है । पिता बनना कोई कठिन काम नहीं किंतु एक सफल ,अच्छा और सम्मानित पिता बनना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं माना जा सकता है । पिता की जिम्मेदारी के लिए यह मायने नहीं रखता कि उसके बच्चे किस उम्र पर पहुंच चुके हैं अथवा उसकी कितनी संतानें हैं । परिवार के सबसे ज्यादा जिम्मेदार शख्स को यह समझने की जरूरत है कि एक पिता का काम कभी खत्म न होने वाली प्रक्रिया का हिस्सा है । एक पिता को अच्छे अनुशासन का पुजारी होना चाहिए । उसके अंदर प्रेरणा का स्त्रोत कलकल बहती नदी की तरह स्वच्छ होना चाहिए । एक पिता का सबसे बड़ा गुण यह होना चाहिए कि वह अपने संतानों की हर छोटी से छोटी और बड़ी जरूरतों के लिए सहानुभूति से सराबोर हो । परिवार में बच्चे ठीक उसी तरह होते हैं जैसे हमारे हाथ की पांच उंगलियां । कोई छोटी तो कोई बड़ी ,किंतु एक में यदि चोट लग जाए तो उसकी उपयोगिता क्षण प्रति क्षण उसके महत्व का एहसास करा रही होती है । ठीक इसी तरह बच्चों में पनप रहे गुण भी अलग – अलग होते हैं । एक पिता को दूरदृष्टि का परिचय देते हुए सभी के स्वभाव का बराबर ख्याल रखना चाहिए । ऐसा न होने पर बर्तनों की खनक वाली कहावत चरितार्थ हो उठती है , जो परिवार के बिखरने का कारण बन जाती है ।
हम एक ऐसे पिता की बात करना चाहते हैं जिसकी एक से अधिक संतानें हैं । इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे पिता के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक बच्चे के साथ समानता का व्यवहार करे । सभी के लिए समय निकाले अथवा उनकी जिज्ञासाओं को गंभीरता पूर्वक सुनने के साथ उनके समाधान हेतु सकारात्मक रवैया दिखाए । ऐसा करने के साथ एक पिता अपने बच्चों के साथ अद्वितीय संबंधों को विकसित कर सकता है । एक पिता को इस सच्चाई को स्वीकार करना होगा कि उनके बच्चो इस बात से विशेष सरोकार नहीं रखते कि आप कितने बड़े ओहदे पर पदस्थ हैं या किस तरह अपने व्यवसाय या परिवार की भलाई के लिए व्यस्त हैं । आपकी जिम्मेदारियो की सूची कितनी लंबी है । उन्हें इससे ही मतलब होता है कि उनका पिता उनके साथ कितना समय बिता रहा है । एक साथ बैठकर समय बिताने को ही बच्चे इस रूप में देखते हैं कि उनके पिता उनकी कितनी परवाह करते हैं ? आज के बदले समय में वीक एंड के रूप में थिएटर जाना या फिर पूरे परिवार के साथ कैंडल लाइट भोजन पर जाना अथवा सैर – सपाटा को ही बच्चे अपनी चिंता के रूप में समझने लगे हैं । बच्चों की पसंद का ख्याल रखना और उसे समय पर पूरा करना आज के फैशन में बच्चों द्वारा पिता के मूल्यांकन का आधार बना हुआ है ,और इस परीक्षा में सफल होने वाला शख्स ही एक अच्छे पिता के रूप में चिन्हित हो पाता है ।
अब बदल रही जीवनशैली और बच्चो की परिवर्तित हो रही सोच के चलते प्रत्येक पिता को सावधानी पूर्वक बच्चे की हर गतिविधि में समान रूप से सम्मिलित होने की जरूरत है । बढ़ती उम्र में आपका बच्चा अपनी शैक्षणिक गतिविधि के किसी माइल स्टोन को छू रहा हो तब यह ध्यान रखना होगा कि आप कितने भी व्यस्त क्यों न हों , बच्चे की उक्त उपलब्धि हेतु समय निकालना ही होगा । यदि आपने उक्त अवसर को को दिया तो यह निश्चित है कि एक ओर जहां आप जीवन भर इसके लिए पश्चाताप करेंगे , तो दूसरी ओर आपकी संतान आपको लापरवाह पिता के रूप में उच्च अंक प्रदान करने से पीछे नहीं रहेगी । वास्तव में देखा जाए तो प्रत्येक सफल पिता को अपने बच्चों को जीवन के बुनियादी कार्यों को संपन्न करना सिखाने के लिए मौजूद रहना चाहिए । यह सुनिश्चित माना जाना चाहिए कि बच्चों को रोजमर्रा के छोटे – छोटे कार्यों से लेकर जीवन के बड़े सबक सिखाने में पिता की भूमिका ही अहम हुआ करती है । ऐसा कोई बच्चा नहीं जो अपने जीवन काल में गलतियां न करे । गलतियों के बाद ही बच्चे आगे अच्छा सीख पाते हैं । बच्चो की गलतियों पर उन्हें डांटने – मारने से अच्छा यह है कि यह जानने की कोशिश की जाए कि उन्होंने गलती क्यों की ? भविष्य में इस तरह की गलती की पुनरावृत्ति न हो इस उद्देश्य से उन्हें अच्छे माहौल में समझाइस देने की जरूरत पिता द्वारा महसूस की जानी चाहिए ।
बच्चों के जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में पिता की उपस्थिति अत्यंत जरूरी है । बच्चों साथ संवाद एक अच्छा माध्यम हो सकता है । यदि बच्चे किशोरावस्था में हैं अथवा कॉलेज के छात्र हैं तो हो सकता है कि वे अपनी दिनचर्या के विषय में आप से चर्चा न करना चाहें । बावजूद इसके एक पिता को कुछ – कुछ अंतराल में यह पूछने से नहीं चूकना चाहिए कि वे कैसे हैं ? इससे बच्चो के मन में यह धारणा मजबूत होगी कि आपको उनकी परवाह है । एक अच्छे अनुशासक पिता होने का अर्थ यह नहीं कि बच्चो की गलतियों पर डांट ही लगाई जाती रहे बल्कि जब बच्चा कोई अच्छा काम करे तो उसे प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी भी पिता के कर्तव्य में शामिल होनी चाहिए । एक पिता को सदैव यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि वे किसी भी स्थिति में शारीरिक या मानसिक रूप से क्रूर पिता की श्रेणी में शामिल न हो जाएं । कहने का तात्पर्य यह कि बच्चो की गलतियों को प्वाइंट आऊट करते हुए उसके दुष्परिणामों का एहसास कराया जाना भी जरूरी है ताकि वे अपनी गलती का अनुभव कर सकें और उस मार्ग पर पुनः आगे न बढ़ें , जिसके कारण उन्हें अपने पिता से समझाइस दी गई हो । बच्चों को कभी ऐसा न लगने दें कि उनकी गलती के कारण आप हिंसक हो सकते हैं । ऐसा होने से बच्चा आपके आस – पास आने से कतराने लगेगा ।
एक सफल पिता होने की उम्मीद लिए शख्स को कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए । यदि आप चाहते हैं कि बच्चे अपेक्षाओं के अनुसार बर्ताव करें तो वे सबसे पहले आपके सकारात्मक व्यवहार पर नजर डालेंगे । प्रत्येक पिता यह चाहता है कि उसके बच्चे किसी लत पर न पड़ें । मसलन यदि आप चाहते हैं कि बच्चा धूम्रपान अथवा नशे की प्रवृत्ति से दूर रहे तब एक पिता को यह ध्यान रखना होगा कि वह खुद इस तरह के व्यसन में संलग्न न हो । घर परिवार में यह बात सामान्य रूप से देखने में आती है कि एक पिता अपने बच्चों का प्रेरणास्त्रोत बनना चाहता है । इसे फलीभूत करने यह जरूरी है कि वह किसी भी परिस्थिति में बच्चों की मां के साथ दुर्व्यवहार न करे । कोई भी व्यक्ति अपने जीवन में निष्कलंक हो यह असंभव सी बात है । एक अच्छे पिता होने के लिए आपको यह प्रण लेना होगा कि यदि आपसे भूल हुई है तो आप भी बच्चों के समक्ष क्षमा जैसे शब्द को त्रुटि सुधार का औजार बनाएं ।
डॉ. सूर्यकांत मिश्रा
राजनांदगांव ( छ. ग.)
बड़ा ही कठिन है एक सफल पिता बनना
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