Home देश-दुनिया उद्धव ठाकरे बोले- हम महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य नहीं बनने देंगे

उद्धव ठाकरे बोले- हम महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य नहीं बनने देंगे

by admin

नईदिल्ली(ए)। शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि उनकी पार्टी महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य नहीं बनाने देगी। ठाकरे का यह बयान राज्य सरकार द्वारा कक्षा एक से पांचवीं तक के छात्रों के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के तौर पर अनिवार्य करने के फैसले के बाद आया है।

‘पार्टी को हिंदी भाषा से कोई परहेज नहीं है, लेकिन…’
शिवसेना (उबाठा) की श्रमिक शाखा भारतीय कामगार सेना के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी को हिंदी भाषा से कोई परहेज नहीं है, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि इसे क्यों थोपा जा रहा है? ठाकरे ने दावा किया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का मिशन लोगों को एकजुट नहीं होने देना और उन्हें लगातार दबाव में रखना है ताकि वे इन चिंताओं में उलझे रहें। उन्होंने कहा, ‘‘हम महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य नहीं बनने देंगे।”

‘अगर आप कुछ थोपेंगे तो हम उसका विरोध करेंगे’
ठाकरे की यह टिप्पणी महाराष्ट्र सरकार द्वारा राज्य भर के मराठी और अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों में कक्षा 1 से 5 तक के विद्यार्थियों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के निर्णय पर विपक्ष के विरोध के बीच आई है, जो दो भाषा अध्ययन की प्रथा से हटकर है। उन्होंने कहा, ‘‘आप हमसे स्नेह से कहेंगे तो हम सब कुछ करेंगे, लेकिन अगर आप कुछ थोपेंगे तो हम उसका विरोध करेंगे। हिंदी (सीखने) के लिए यह दबाव क्यों?” पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने ही राज्य में मराठी सीखना अनिवार्य करने का फैसला किया था।

ठाकरे ने कहा, ‘‘आगर आप राज्य में रहना चाहते हैं तो आपको जय महाराष्ट्र कहना होगा।” मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति पर निशाना साधते हुए उन्होंने सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार उन लोगों के लिए काम कर रही है, जो महाराष्ट्र और मराठी को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने उपमुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधते हुए कहा कि उनकी पार्टी मराठी के साथ अन्याय करने वालों के अधीन कैसे हो सकती है और फिर बाल ठाकरे की विरासत के उत्तराधिकारी होने का दावा कैसे कर सकती है?

‘घाटकोपर में मराठी को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए’
शिवसेना (उबाठा) प्रमुख ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता भैयाजी जोशी की उस टिप्पणी का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि मुंबई आने वाले किसी भी व्यक्ति को मराठी सीखना जरूरी नहीं है। ठाकरे ने कहा कि मुख्य रूप से मुंबई के गुजराती भाषी उपनगर घाटकोपर में मराठी को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए। वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस कानून का विरोध करती है, क्योंकि इसमें वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति का प्रावधान है।

ठाकरे ने कहा, ‘‘तो मेरा सवाल यह है कि क्या गारंटी है कि आप (सरकार) हिंदू धार्मिक संगठनों में गैर-हिंदुओं की नियुक्ति नहीं करेंगे? यह वही सवाल है जो उच्चतम न्यायालय ने वक्फ अधिनियम पर सरकार से पूछा है।” उन्होंने आगे दावा किया कि उनकी सरकार इसलिए गिराई गई, क्योंकि मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने राज्य में श्रम कानून के क्रियान्वयन को रोक दिया था। ठाकरे ने कहा कि जिन कार्यस्थलों पर भारतीय कामगार सेना संघ की मौजूदगी है, वहां रिक्तियों को भरने के लिए पार्टी के लोगों को काम पर रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोगों को वहां काम पर रखा जाना चाहिए। उन्हें सप्ताह में एक बार ‘शाखा’ में जाना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता कि वे काम करने के दौरान कामगार सेना के साथ हों और बाहर अन्य पार्टियों के साथ हों।”

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