Home छत्तीसगढ़ दो दशकों बाद बीजापुर के 78 शिक्षकविहीन स्कूलों में पहली बार बजेगी पढ़ाई की घंटी

दो दशकों बाद बीजापुर के 78 शिक्षकविहीन स्कूलों में पहली बार बजेगी पढ़ाई की घंटी

हर बच्चे तक पहुंचेगी शिक्षा की रौशनी, 189 शिक्षकों की हुई पदस्थापना

by admin

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षकों और विद्यालयों के युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया के तहत बीजापुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई है। जिले के 78 ऐसे स्कूल जहां अब तक एक भी शिक्षक पदस्थ नहीं था, वहां पहली बार नियमित शिक्षकों की नियुक्ति की गई है, जिससे अब जिले में कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं रहा। इसी प्रक्रिया के अंतर्गत 2 हाईस्कूलों में विषय विशेषज्ञ व्याख्याताओं (हिन्दी एवं सामाजिक अध्ययन) की भी नियुक्ति की गई है, जिससे लंबे समय से विद्यार्थियों की शैक्षणिक आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकेगी।

जिला शिक्षा कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में 198 शिक्षक अतिशेष पाए गए। इनमें 104 सहायक शिक्षक, 13 प्रधान अध्यापक (प्राथमिक शाला), 45 शिक्षक, 31 प्रधान अध्यापक (माध्यमिक शाला) एवं 5 व्याख्याता शामिल हैं। इन अतिशेष शिक्षकों मे से 189 शिक्षकों की पस्थापना शिक्षक विहीन एकल शिक्षकीय एवं आवश्यकता वाले स्कूलों में कांउसलिंग के उपरांत की गई है। नई पदस्थापना आदेश के तहत 82 शिक्षकों को शिक्षक विहीन शालाओं में 44 शिक्षकों को एकल शिक्षकीय शालाओं में और 63 शिक्षको को सामान्य संस्थाओं में पदस्थापना किया गया। युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के बाद जिले में अब भी सहायक शिक्षक के 336, प्रधान अध्यापक प्राथमिक शाला के 76, शिक्षक के 15 और व्याख्याता के 138 कुल 565 पद रिक्त रहेंगे।

इस प्रक्रिया का सबसे अहम पहलू यह है कि 76 स्कूल जो दो दशकों से बंद थे, वहां पहली बार नियमित शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। गुन्डापूर, मुदवेंडी, हिरमगुन्डा, बोटेतोंग, गुन्जेपरती, जीड़पल्ली, मुरकीपाड़ जैसे अति-संवेदनशील और दुर्गम क्षेत्रों में शिक्षकों की तैनाती होने से अब इन क्षेत्रों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।

 

युक्तियुक्तकरण के तहत 65 स्कूलों का समायोजन किया गया, जिनमें से 56 का संचालन यथावत जारी रहेगा, जबकि 9 स्कूलों को कम दर्ज संख्या के कारण बंद किया गया है।

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