Home देश-दुनिया वायरस से एंटीबायोटिक विकसित करने की नई विधि खोजी, बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी दवा बनाने की उम्मीद

वायरस से एंटीबायोटिक विकसित करने की नई विधि खोजी, बैक्टीरिया के खिलाफ प्रभावी दवा बनाने की उम्मीद

by admin

नईदिल्ली(ए)।  वैज्ञानिकों ने एक विशेष प्रकार के वायरस जंबो फेज का अध्ययन कर नई एंटीबायोटिक विकसित करने की संभावना जताई है। फेज वे वायरस होते हैं जो बैक्टीरिया को संक्रमित कर उनके डीएनए को बदल देते हैं और अपनी प्रतिकृति बनाने के लिए बैक्टीरिया की प्रणाली का उपयोग करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान वे इतनी अधिक संख्या में बढ़ जाते हैं कि अंततः बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, जंबो फेज जो सामान्य फेज की तुलना में चार गुना अधिक डीएनए रखते हैं, बैक्टीरिया के अंदर एक सुरक्षित स्थान बनाते हैं। यह स्थान प्रोटीन से बनी एक सुरक्षा कवच से घिरा होता है जो केवल आवश्यक प्रोटीन को ही अंदर जाने की अनुमति देता है। यह खोज नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुई है और इसमें कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों का योगदान शामिल है।

फेज थेरेपी पर विशेष फोकस
जंबो फेज एक प्रकार के बैक्टीरियोफेज हैं, जिनकी खोज 100 साल पहले हुई थी। मूल रूप सेबैक्टीरियोफेज छोटे वायरस जैसे जीव होते हैं जो बैक्टीरिया को संक्रमित करते हैं। वे आरएनए या डीएनए जीनोम के चारों ओर एक प्रोटीन कैप्सूल से बने होते हैं। पहले इन्हें जीवाणु संक्रमण का इलाज करने के लिए संभावित समाधान माना जाता था, लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं के विकास के बाद इस पर शोध धीमा पड़ गया। हालांकि हाल के वर्षों में एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया की समस्या बढ़ने के कारण वैज्ञानिकों का ध्यान फिर से फेज थेरेपी की ओर गया है।

नई एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में मदद मिलेगी
शोधकर्ताओं ने प्रयोगों में स्यूडोमोनास बैक्टीरिया का उपयोग किया है जो कई एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होता है। इस शोध से न केवल नई एंटीबायोटिक दवाओं के विकास में मदद मिलेगी, बल्कि फेज थेरेपी को भी अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।

जीन संपादन तकनीक का उपयोग
दरअसल, वैज्ञानिकों ने पहले ही सीआरआईएसपीआर(क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स) तकनीक का उपयोग करके जंबो फेज में आवश्यक आनुवंशिक परिवर्तन करने की विधि विकसित कर ली है। यह एक जीन संपादन तकनीक है। यह तकनीक वैज्ञानिकों को डीएनए में बदलाव करने की अनुमति देती है। इसकी खोज मूल रूप से बैक्टीरिया में वायरस से बचने के लिए विकसित की गई थी।

 

  • बैक्टीरिया वायरस से लड़ने के लिए, वायरस के जेनेटिक कोड को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट देता है। ये टुकड़े बैक्टीरिया के अपने जीनोम में संग्रहित होते हैं।
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