गुजरात में क्लोराइड की मात्रा अधिक
राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में क्लोराइड का उच्च स्तर मिला है। अनेक स्थानों में मानसून के बाद पानी की गुणवत्ता में थोड़ा सुधार हुआ है, इसका मतलब है कि बारिश के पानी के रिचार्ज के कारण घातक साल्ट का असर स्वाभाविक रूप से कम हुआ।
इन राज्यों के पानी में नाइट्रेट ज्यादा
नाइट्रेट की अधिकता जिन राज्यों में मिली है, उनमें राजस्थान, तमिलनाडु और महाराष्ट्र शामिल हैं। यहां 40 प्रतिशत से अधिक सैंपलों में नाइट्रेट की मात्रा मानक स्तर से अधिक पाई गई है। इसका मुख्य कारण इन क्षेत्रों में खेती में उर्वरकों का अधिक इस्तेमाल है। राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में फ्लोराइड का सबसे अधिक प्रदूषण मिला है। यहां भी मानसून के सीजन में प्रदूषण का स्तर कुछ कम हुआ, लेकिन दूषित जल की समग्र तस्वीर काफी अधिक चिंताजनक बनी हुई है
यूरेनियम ने बढ़ाई राजस्थान व पंजाब की चिंता
यूरेनियम की अधिकता रिपोर्ट में सबसे अधिक चिंताजनक तथ्य के रूप में उभरी है। राजस्थान में 42 प्रतिशत सैंपल यूरेनियम की निर्धारित कसौटी के मामले में परीक्षण में विफल रहे हैं। पंजाब के 30 प्रतिशत सैंपल भी यूरेनियम की अधिकता से ग्रस्त मिले हैं। पानी में यूरेनियम के प्रदूषण के लिहाज से ये दोनों राज्य क्षेत्रीय हॉटस्पॉट के रूप में सामने आए हैं।
30 पीपीबी से अधिक यूरेनियम वाले जो क्लस्टर हैं, वे वास्तव में पहले से अति-दोहित, गंभीर और अर्धगंभीर वाली श्रेणी में हैं। यह स्थिति बताती है कि यूरेनियम का प्रदूषण बढ़ने का एक कारण भूजल का अति दोहन भी है। पानी का स्तर भूमि के अंदर यूरेनियम तक गहरा हो गया है। राजस्थान, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में सबसे अधिक भूजल में ईसी (इलेक्ट्रिक कंडक्टिविटी) का उंचा स्तर मिला है।