उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध विचार व्यक्त करने पर दोनों को जेल में डाल दिया गया था। जो कांग्रेस आज संविधान हाथ में लिए देश में भय के माहौल का दुष्प्रचार करती है, डर का वह माहौल मजरूह सुल्तानपुर और बलराज साहनी ने कांग्रेस के शासन में महसूस किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी न्याय पालिका का सम्मान नहीं किया। जब इंदिरा गांधी के निर्वाचन का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा था, तब अपनी कुर्सी बचाने के लिए निर्णय आने से पहले ही संविधान में संशोधन का यह प्रस्ताव ले आई थीं कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
कांग्रेस ने छीन लिया था जीने का अधिकार
संजय झाजदयू सांसद संजय झा ने कहा कि आपातकाल में जीवन जीने का अधिकार भी छीन लिया गया था। उन्होंने कहा कि 1989 में भागलपुर में दंगा हुआ। एक हजार लोग उसमें मारे गए। कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपनी किताब में लिखा था कि सीएम पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने राजीव गांधी को दंगे में कुछ कांग्रेस नेताओं की भूमिका की बात बताई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। दंगा पीडि़तों को पंद्रह साल तक न्याय भी नहीं मिला था। विपक्ष को निशाने पर लेते हुए बोले- यह जातिगत जनगणना का मुद्दा लेकर घूमते हैं। मुंबई में आइएनडीआइए की बैठक में नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की मांग रखी तो ममता बनर्जी ने विरोध किया था। कांग्रेस उस पर चुप थी।