Home देश-दुनिया देशहित में नहीं परिवार हित में किए गए थे संविधान में संशोधन, वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर साधा निशाना

देशहित में नहीं परिवार हित में किए गए थे संविधान में संशोधन, वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर साधा निशाना

by admin
नई दिल्ली(ए)। भारतीय संविधान के अंगीगार किए जाने के 75 वर्ष पूरे होने पर राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संविधान संशोधनों के जिक्र के सहारे कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। संविधान लागू होने के एक वर्ष बाद ही तत्कालीन अंतरिम सरकार द्वारा किए गए पहले संविधान संशोधन को उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने वाला बताया। 

इसके बाद बारी-बारी से कई संशोधनों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया कि कांग्रेस ने देशहित के लिए नहीं, बल्कि हमेशा व्यक्ति या परिवार के हित में संविधान संशोधन किए। सोमवार को राज्यसभा में भाजपा की वरिष्ठ नेता निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को रौंदने के लिए गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी और अभिनेता बलराज साहनी को जेल में डाले जाने का प्रसंग सदन में सुनाया। 

उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के विरुद्ध विचार व्यक्त करने पर दोनों को जेल में डाल दिया गया था। जो कांग्रेस आज संविधान हाथ में लिए देश में भय के माहौल का दुष्प्रचार करती है, डर का वह माहौल मजरूह सुल्तानपुर और बलराज साहनी ने कांग्रेस के शासन में महसूस किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने कभी न्याय पालिका का सम्मान नहीं किया। जब इंदिरा गांधी के निर्वाचन का मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा था, तब अपनी कुर्सी बचाने के लिए निर्णय आने से पहले ही संविधान में संशोधन का यह प्रस्ताव ले आई थीं कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और लोकसभा अध्यक्ष के निर्वाचन को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।

वित्त मंत्री ने कहा कि यही वजह है कि ‘किस्सा कुर्सी का’ फिल्म सहित कई पुस्तकों पर कांग्रेस सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया था। मीसा कानून का उल्लेख करने के साथ ही निर्मला सीतारमण ने राजनीतिक तंज की कसा। लालू प्रसाद यादव का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि मीसा कानून के काले दिनों को याद करते हुए ही एक नेता ने अपने बच्चे का नाम भी मीसा रखा। यह अलग बात है कि आज वह नेता कांग्रेस के साथ ही गठबंधन में हैं। 

कांग्रेस ने छीन लिया था जीने का अधिकार

संजय झाजदयू सांसद संजय झा ने कहा कि आपातकाल में जीवन जीने का अधिकार भी छीन लिया गया था। उन्होंने कहा कि 1989 में भागलपुर में दंगा हुआ। एक हजार लोग उसमें मारे गए। कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपनी किताब में लिखा था कि सीएम पद से हटाए जाने के बाद उन्होंने राजीव गांधी को दंगे में कुछ कांग्रेस नेताओं की भूमिका की बात बताई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ। दंगा पीडि़तों को पंद्रह साल तक न्याय भी नहीं मिला था। विपक्ष को निशाने पर लेते हुए बोले- यह जातिगत जनगणना का मुद्दा लेकर घूमते हैं। मुंबई में आइएनडीआइए की बैठक में नीतीश कुमार ने जातिगत जनगणना की मांग रखी तो ममता बनर्जी ने विरोध किया था। कांग्रेस उस पर चुप थी।

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