Home देश-दुनिया 40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वालों को मिलेगा 4 प्रतिशत आरक्षण, केंद्र सरकार ने जारी किया दिशा-निर्देश

40 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता वालों को मिलेगा 4 प्रतिशत आरक्षण, केंद्र सरकार ने जारी किया दिशा-निर्देश

by admin

नईदिल्ली (ए)। 40 फीसदी से अधिक दिव्यांगता वाले लोगों को अब चार प्रतिशत का आरक्षण मिलेगा। केंद्र सरकार ने व्यापक दिशा निर्देश जारी किए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) जैसी संस्थाओं की आलोचना के बाद केंद्र सरकार ने यह कदम उठाया है। दृष्टि और श्रवण बाधित बौद्धिक अक्षमता और चलने-फिरने में अक्षम समेत कई श्रेणियों में आरक्षण का प्रावधान है।

केंद्र ने एकरूपता के लिए जारी किए दिव्यांग आरक्षण के दिशानिर्देश।
बाद के पदोन्नति वाले सभी पद भी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए होंगे आरक्षित।
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र ने कम से कम 40 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षण और पदों की पहचान सुव्यवस्थित करने के लिए व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें ऐसे पदों की समय-समय पर पहचान और उनका मूल्यांकन करने के लिए समितियों का गठन अनिवार्य किया गया है। साथ ही दृष्टि बाधित, चलने-फिरने में अक्षम, श्रवण बाधित व बौद्धिक अक्षमता सहित विभिन्न श्रेणियों में सीधी भर्ती और पदोन्नति में चार प्रतिशत आरक्षण का भी प्रविधान किया गया है।

क्यों उठाया गया यह कदम?
दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि अगर कोई पद दिव्यांग व्यक्तियों के लिए उपयुक्त समझा जाता है तो उसके बाद के पदोन्नति वाले सभी पद भी दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित रहेंगे। ये दिशा-निर्देश दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के अनुरूप हैं।

यह कदम दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम, 2016 के क्रियान्वयन में विसंगतियों को चिह्नित करने और पदों की पहचान में अनधिकृत कार्रवाई के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) जैसी संस्थाओं की आलोचना करने के बाद उठाया गया है।

अदालत ने इसके साथ दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) को समान दिशा-निर्देश बनाने का आदेश दिया। नए दिशा-निर्देशों का उद्देश्य केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों में दिव्यांग व्यक्तियों को रोजगार में समावेशिता, निष्पक्षता और एकरूपता सुनिश्चित करना है। इनके मुताबिक, प्रौद्योगिकीय प्रगति और नौकरी की नई आवश्यकताओं को शामिल करने के लिए चिह्नित पदों की हर तीन वर्ष में व्यापक समीक्षा आवश्यक है। दिशा-निर्देशों में लंबित रिक्तियों को समय पर भरने, व्यापक प्रचार-प्रसार करने व आरक्षण नीतियों से छूट के लिए तीन वर्ष की वैधता अवधि पर भी जोर दिया गया है।

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