जयपुर(ए)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मुझे अपने विद्यार्थी जीवन की याद आती है। अगर मुझे छात्रावास की सुविधा नहीं मिलती तो मेरी पढ़ाई रुक जाती। कहा कि आदिवासी समाज के लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजें, उन्हें पढ़ाएं। शिक्षा बहुत अहम है। सरकार आदिवासी समाज के साथ हैं। आदिवासी अपने बच्चों को खेल में आगे बढ़ाएं।
सरकार जनजातीय लोगों की मदद के लिए तैयार है। हमें आगे कदम बढ़ाने होंगे। यह बातें उन्होंने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में आदिवासियों के प्रमुख आस्था के केंद्र मानगढ़ धाम में आयोजित गौरव सम्मान समारोह में संबोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि जनजाति वर्ग के लोगों में बहुत क्षमता है। इन्होंने हर जगह योगदान दिया है।
इससे पहले राष्ट्रपति ने सिरोही जिले के आबूरोड़ में ब्रहमाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में आयोजित आध्यात्मिक से स्वच्छता एवं स्वच्छ समाज विषय पर आयोजित वैश्विक शिखर सम्मेलन को भी संबोधित किया। कहा कि अध्यात्मिकता शुद्ध कर्मों से मन को संवारने का रास्ता है। आत्मा स्वच्छ हो तो सबकुछ हो जाता है। स्वच्छता सिर्फ बाहरी नहीं हमारे विचारों में भी होनी चाहिए।
धरती पर आकर आत्मा में दाग लग जाते हैं। सामाजिक, मानसिक और भावनात्मक सभी आपस में जुड़े हुए हैं। इन सभी रुप में हमारा स्वस्थ होना आवश्यक है। जब तक हमारा मन स्वच्छ नहीं होगा, जीवन में परिवर्तन नहीं होगा। हम आजादी के एक सौ साल पूरे करने वाले हैं। सौ साल पूरे होने पर भारत विकसित राष्ट्र बनेगा। उन्होंने लोगों से अधिक से अधिक पेड़ लगाने की अपील की।