Home देश-दुनिया ‘वायनाड भूस्खलन मानवीय उदासीनता और लालच पर प्रकृति के पलटवार का उदाहरण’, केरल हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

‘वायनाड भूस्खलन मानवीय उदासीनता और लालच पर प्रकृति के पलटवार का उदाहरण’, केरल हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी

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वायनाड (केरल) (ए)। केरल के वायनाड जिले में पिछले महीने मेप्पाडी के पास विभिन्न पहाड़ी इलाकों में आए भूस्खलन ने भारी तबाही मचा दी थी। इस प्राकृतिक आपदा के कारण सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। अब इस घटना पर केरल हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। अदालत का कहना है कि 200 से अधिक लोगों की जान चली जाने की घटना मानवीय उदासीनता और लालच पर प्रकृति के पलटवार का उदाहरण है।

पिछले कुछ सालों की घटना हमारी गलतियों को दिखाता है: अदालत
हाईकोर्ट ने कहा कि बहुत समय पहले ही चेतावनी के संकेत मिल गए थे, लेकिन हमने विकास के एजेंडे को पूरा करने के लिए उसे नजरअंदाज करना सही समझा। ऐसा मानना था कि यह विकास हमारे राज्य को आर्थिक समृद्धि की ऊंची राह पर ले जाएगा। अदालत ने आगे कहा कि साल 2018 और 2019 में आईं प्राकृतिक आपदाएं, लगभग दो साल तक बनी रहने वाली कोविड महामारी और हाल ही में हुई भूस्खलन की घटना हमारी गलतियों को दिखाता है।
अगर जल्द सुधार नहीं किया तो…
न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति श्याम कुमार वीएम की पीठ ने वायनाड में 30 जुलाई को भूस्खलन के बाद अदालत द्वारा खुद शुरू की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘अगर हम अपने तरीके में सुधार नहीं लाए और सकारात्मक उपचारात्मक कार्रवाई नहीं की तो शायद बहुत देर हो जाएगी।’

पीठ ने 23 अगस्त के अपने आदेश में कहा कि न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका शुरू की थी, ताकि राज्य सरकार को केरल राज्य में सतत विकास के लिए अपनी वर्तमान धारणाओं पर आत्मनिरीक्षण करने तथा इस संबंध में अपनी नीति पर पुनर्विचार करने के लिए राजी किया जा सके।

तीन चरणों से हासिल करेंगे लक्ष्य
अदालत ने कहा कि न्यायालय प्राकृतिक संसाधनों के दोहन, पर्यावरण, वन और वन्यजीवों के संरक्षण, प्राकृतिक आपदाओं के निवारण, प्रबंधन और न्यूनीकरण और सतत विकास लक्ष्यों के संबंध में राज्य की मौजूदा नीतियों का जायजा लेगा। इसके अलावा कोर्ट ने उन चरणों पर भी प्रकाश डाला, जिससे वह जनहित याचिका के लक्ष्यों को हासिल कर सकती है।

हाईकोर्ट ने कहा कि यह तीन चरणों से आगे बढ़ेगा। सबसे पहले राज्य में पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करने के तरीके के बारे में  वैज्ञानिक डाटा एकत्र करने पर केंद्रित होगा। उसके बाद उन्हें जिलेवार पहचानने और अधिसूचित करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी। पीठ ने यह भी कहा कि हम वायनाड जिले में बचाव, पुनर्वास और पुनर्निर्माण प्रयासों की साप्ताहिक आधार पर निगरानी करेंगे।

केंद्र और राज्य सरकार करें हलफनामा दाखिल
पीठ ने केंद्र और केरल सरकार को हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करने का भी निर्देश दिया है कि क्या राज्य में हुई प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर वे आपदा प्रबंधन अधिनियम (डीएमए) 2005 के तहत विषय विशेषज्ञों की संख्या बढ़ाने का प्रस्ताव रखते हैं। अदालत ने उनसे यह स्पष्ट करने को भी कहा कि क्या डीएमए के तहत जिन सलाहकार समितियों पर विचार किया गया है, वे राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर गठित की गई हैं और यदि हां, तो उक्त पैनलों की संरचना क्या है और साथ ही डीएमए के अनुसार राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर तैयार आपदा प्रबंधन योजनाओं का विवरण क्या है। साथ में उक्त योजनाओं के बारे में नई जानकारी देने को कहा है।

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