नई दिल्ली(ए)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में एक महत्वपूर्ण बयान दिया जिसमें उन्होंने सहारा समूह की कंपनियों से संबंधित मामले की जांच और उसके प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कही कि लोकसभा में कहा कि ‘गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय’ (एसएफआईओ) सहारा समूह की कंपनियों से संबंधित मामले की विस्तृत जांच कर रहा है और इसकी रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। आइए जानते है विस्तार से …
1. SFIO की जांच:
निर्मला सीतारमण ने बताया कि ‘गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय’ (एसएफआईओ) सहारा समूह की कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों की विस्तृत जांच कर रहा है। एसएफआईओ एक केंद्रीय एजेंसी है जो वित्तीय धोखाधड़ी और गंभीर आर्थिक अपराधों की जांच करती है। सीतारमण ने संकेत दिया कि एसएफआईओ की जांच के पूरा होने के बाद रिपोर्ट की समीक्षा की जाएगी और इसके आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी।
2. SC की निगरानी
वित्त मंत्री ने कहा कि सहारा समूह के मामलों की पूरी निगरानी उच्चतम न्यायालय द्वारा की जा रही है। इसका मतलब है कि सरकार इस मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार ही कार्य कर रही है। उच्चतम न्यायालय द्वारा निगरानी का मतलब है कि सभी कानूनी प्रक्रियाएँ और फैसले न्यायालय के आदेशों के अनुसार होंगे।
3. रिफंड दावों की स्थिति:
सीतारमण ने बताया कि अभी तक केवल छोटे निवेशक ही रिफंड का दावा करने के लिए आगे आए हैं। सहारा समूह की कंपनियों में कुल 3.7 करोड़ निवेशक हैं, लेकिन अब तक केवल 19,650 निवेशक ही रिफंड के लिए दावा कर पाए हैं। इनमें से 17,250 दावों का निपटारा कर दिया गया है, जबकि अन्य दावेदारों को अतिरिक्त दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है ताकि उनके दावों का समाधान किया जा सके।
4. एसएफआईओ का विश्लेषण:
वित्त मंत्री ने कहा कि एसएफआईओ का विस्तृत विश्लेषण करने के बाद ही पूरे मामले की स्पष्टता सामने आएगी। यह विश्लेषण यह भी देखेगा कि सभी निवेशक रिफंड का दावा क्यों नहीं कर रहे हैं और क्या कारण हो सकते हैं। इस प्रक्रिया से पता चलेगा कि कितने निवेशक रिफंड के लिए पात्र हैं और उनकी दावेदारी को पूरा कैसे किया जा सकता है।
5. सरकार की भूमिका:
निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार सहारा समूह की कंपनियों के मामले में सीधे तौर पर कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि मामला उच्चतम न्यायालय की निगरानी में है। सरकार केवल न्यायालय के निर्देशों का पालन कर रही है और नियमित रूप से न्यायालय को स्थिति की जानकारी प्रदान कर रही है।
6. जांच का समय:
फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि दिसंबर 2023 में संसद को प्रदान किए गए आंकड़ों के अनुसार, सहारा समूह की तीन कंपनियों के मामलों की जांच 31 अक्टूबर 2018 को एसएफआईओ को सौंप दी गई थी। इसका मतलब है कि जांच प्रक्रिया शुरू हुए लगभग पांच साल हो चुके हैं, और इसे पूरी तरह से पूरा करने में समय लग सकता है। इस प्रकार, निर्मला सीतारमण का बयान इस बात पर जोर देता है कि सहारा समूह की कंपनियों से संबंधित मामले की जांच एक जटिल और लंबी प्रक्रिया है, जिसे पूरी पारदर्शिता और न्यायिक निगरानी के तहत किया जा रहा है।