कोलकाता(ए)। पड़ोसी देश बांग्लादेश में जारी अशांति के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के लोगों से शांति बनाए रखने और किसी उकसावे में न आने अपील की। बांग्लादेश के घटनाक्रम पर टिप्पणी करने से इनकार करते हुए मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा कि इस विषय पर विदेश मंत्रालय ही कोई प्रतिक्रिया देगा।
बनर्जी ने कहा, “मैं पश्चिम बंगाल के सभी नागरिकों से शांति बनाए रखने और किसी भी उकसावे में नहीं आने की अपील करती हूं।” उन्होंने कहा, “इस मुद्दे पर केंद्र जो भी फैसला लेगा, हम उसका पालन करेंगे।” मीडिया में आई खबरों के अनुसार, शेख हसीना ने अपनी सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों के बीच, सोमवार को (बांग्लादेश के) प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर चली गई हैं। हिंसक प्रदर्शनों में पिछले दो दिनों में 106 से अधिक लोगों की मौत हुई है।
इससे पहले बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया है और अब अंतरिम सरकार कार्यभार संभालेगी। बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमां ने सोमवार को यहां यह घोषणा की। यह घोषणा ऐसे समय में की गई है, जब पिछले दो दिनों में हसीना की सरकार के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं, जिनमें 100 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हसीना के देश छोड़कर चले जाने की खबरों के बीच सेना प्रमुख ने टेलीविजन पर दिए गए अपने संबोधन में कहा, “मैं (देश की) सारी जिम्मेदारी ले रहा हूं। कृपया सहयोग करें।”
इस बीच, प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे चुकीं शेख हसीना के लंदन रवाना होने की जानकारी प्राप्त हुई है। मामले के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों ने सोमवार को नयी दिल्ली में यह जानकारी दी। इससे पहले, ऐसी अपुष्ट खबरें थीं कि वह (हसीना) भारत के किसी शहर के लिये रवाना हो गई हैं। सेना प्रमुख वकार-उज-जमां ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक नेताओं से मुलाकात की और उन्हें बताया कि सेना कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालेगी। बैठक में हालांकि हसीना की अवामी लीग पार्टी का कोई नेता मौजूद नहीं था।
शेख हसीना ने दिया इस्तीफा
बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबर रहमान की 76 वर्षीय बेटी हसीना 2009 से सामरिक रूप से महत्वपूर्ण इस दक्षिण एशियाई देश की बागडोर संभाल रही थीं। उन्हें जनवरी में हुए 12वें आम चुनाव में लगातार चौथी बार और कुल पांचवीं बार प्रधानमंत्री चुना गया। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) और उसके सहयोगियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था। पिछले दो दिनों में हसीना सरकार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों में 100 से अधिक लोग मारे गए हैं। देश में विवादास्पद कोटा प्रणाली के खिलाफ उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसके तहत 1971 के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत नौकरियां आरक्षित हैं।
देश भर में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच सेना प्रमुख ने कहा कि उन्होंने सेना और पुलिस दोनों से गोली न चलाने को कहा है। जमां ने प्रदर्शनकारियों से संयम बरतने और हिंसा बंद करने का आग्रह किया। उन्होंने सभी लोगों के लिए “न्याय” का संकल्प व्यक्त किया। सेना प्रमुख की घोषणा के तुरंत बाद, सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए और हसीना के निष्कासन का जश्न मनाने लगे। इससे पहले, सैकड़ों प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री के सरकारी आवास ‘गणभवन’ में घुस गए।
फुटेज में प्रदर्शनकारियों को हसीना के सरकारी आवास में लूटपाट करते दिखाया गया और उनमें से कुछ को ‘गणभवन’ आवास से कुर्सियां और सोफा ले जाते हुए देखा गया। स्थानीय मीडिया की खबर के अनुसार, राजधानी के 3/ए धानमंडी स्थित हसीना के पार्टी कार्यालय को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया। गृह मंत्री असदुज्जमां खान के घर में प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों ने हसीना के पिता मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को भी हथौड़ों से तोड़ दिया और प्रधानमंत्री की विदाई का जश्न मनाया।
सरकार ने प्रदर्शनकारियों के आम जनता से ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ में भाग लेने का आह्वान करने के बाद इंटरनेट को पूरी तरह बंद करने का सुबह आदेश दिया। एक सरकारी एजेंसी ने हालांकि सोमवार को अपराह्न करीब सवा एक बजे ब्रॉडबैंड इंटरनेट शुरू करने का मौखिक आदेश दिया। सोमवार की सुबह हिंसा के नए मामलों में छह लोग मारे गए, जब हजारों प्रदर्शनकारी ‘लॉन्ग मार्च टू ढाका’ के लिए एकत्र हुए थे। प्रदर्शनकारियों के राजधानी में एकत्र होने के दौरान पुलिस और सेना सड़कों पर नजर आई। रविवार को बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ अवामी लीग समर्थकों के बीच झड़पें हुईं, जिसके कारण अधिकारियों को मोबाइल इंटरनेट बंद करना पड़ा और अनिश्चित काल के लिए देशव्यापी कर्फ्यू लागू करना पड़ा।
14 पुलिसकर्मी समेत 101 मारे गए
बंगाली भाषा के प्रमुख समाचार पत्र ‘प्रोथोम आलो’ की खबर के अनुसार रविवार को हुई झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 101 लोग मारे गए। रविवार को हुई झड़पें ऐसे समय में हुईं, जब कुछ दिन पहले ही पुलिस और छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पों में 200 से अधिक लोग मारे गए थे।
ये प्रदर्शनकारी विवादास्पद कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे, जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वालों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। उसके बाद से 11 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त वोल्कर तुर्क ने देश के राजनीतिक नेतृत्व और सुरक्षा बलों से जीवन के अधिकार और शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने दायित्वों का पालन करने को कहा।