नई दिल्ली(ए)। लोकसभा चुनाव के लिए छह चरणों का मतदान पूरा हो चुका है। सातवें और अंतिम चरण की वोटिंग आज शाम 6 बजे बंद हो गई है। अब 4 जून को नतीजे जारी किए जाएंगे। सातवें चरण की वोटिंग खत्म होने के 30 मिनट बाद एग्जिट पोल आने शुरू हो गए हैं। देश की अलग-अलग एजेंसियां अपने-अपने आंकड़े जारी करती दिखीं। इन पोल्स के जरिए अनुमान लगाया जाता है कि कि पार्टी को कितनी सीटें मिलने की उम्मीद है। हालांकि पोल के आंकड़े कितने सटीक होते हैं, यह चुनाव परिणाम आने के बाद ही साफ होगा।
एग्जिट पोल क्या होता है?
एग्जिट पोल एक तरह का चुनावी सर्वे है, जो मतदान के दिन किया जाता है। इसमें मतदान करके बाहर निकले मतदाताओं के सवाल-जवाब किए जाते हैं और उनके जवाबों की एनालिसिस की जाती है। यह अनुमान लगाया जाता है कि आखिर मतदाताओं का रुझान किधर है। इस सर्वे में केवल मतदाताओं को शामिल किया जाता है ताकि अनुमान ज्यादा से ज्यादा मतगणना परिणाम के आसपास रहे। भारत में एग्जिट पोल की शुरुआत 1996 में हुई थी।
क्या कहते है नियम?
भारत में एग्जिट पोल को लेकर कुछ नियम और कानून भी हैं। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 126 ए के अनुसार मतदान प्रक्रिया जारी रहने के दौरान एक्जिट पोल का प्रसारण प्रतिबंधित है। चुनाव आयोग ने 1998 में इसको लेकर पहली बार गाइडलाइंस जारी की थीं। नियम कहता है कि अगर कोई न्यूज चैनल या सर्वे एजेंसी इस नियम का पालन नहीं करती है तो उल्लंघन करने के आरोप में 2 साल की कैद या जुर्माना या फिर दोनों लागू हो सकते हैं।
कितने सटीक होते हैं एग्जिट पोल के नतीजे
एग्जिट पोल से चुनावी नतीजों की झलक तो मिल जाती है। लेकिन ये कितने सटीक होंगे या नहीं, परिणाम से पहले कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। कई बार ये अनुमान सटीक साबित हुए हैं, लेकिन कई बार परिणाम उलट भी रहे हैं। साल 1996 में भारत में औपचारिक तौर पर एग्जिट पोल की शुरुआत हुई। इसे सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) ने किया था। तब पत्रकार नलिनी सिंह ने दूरदर्शन के लिए एग्जिट पोल कराया था। इसके लिए आंकड़े सीएसडीएस जुटाए थे। पोल में कहा गया था कि भाजपा लोकसभा चुनाव जीतेगी और ऐसा ही हुआ हुआ।
ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल में अंतर
एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को लोग एक ही समझ लेते हैं, लेकिन दोनों में अंतर है। ओपिनियन पोल भी एक तरह का चुनावी सर्वे है, लेकिन इसे चुनाव से पहले जारी किया जाता है। ओपिनियन पोल में अलग-अलग लोगों से क्षेत्रवार सवाल पूछे जाते हैं और उसकी एनालिसिस करके सर्वे जारी किया जाता है, जबकि एग्जिट पोल मतदान के दिन होता है और अंतिम चरण की वोटिंग के खत्म होने के 30 मिनट बाद किया जाता है। इसमें केवल मतदाताओं को शामिल किया जाता है।