नईदिल्ली (एं)। उत्तर प्रदेश की सियासत में अमेठी और रायबरेली सीट सुर्खियों में है। इन दोनों सीटों पर शनिवार को दिल्ली में होने वाली कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में चर्चा होगी। उम्मीद है कि दोनों सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर मुहर लग जाएगी। दूसरी तरफ रायबरेली और अमेठी के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बूथ स्तर पर तैयारी पूरी कर ली है। वे बस प्रत्याशियों का इंतजार कर रहे हैं।
अमेठी से राहुल गांधी और रायबरेली से प्रियंका गांधी के चुनाव लडऩे को लेकर अभी तक कयासबाजी ही चल रही है। पार्टी की ओर से अधिकृत तौर पर कोई घोषणा नहीं की गई है। राहुल गांधी की उम्मीदवारी वाले लोकसभा क्षेत्र केरल के वायनाड सीट पर मतदान भी शुक्रवार को हो गया है। इसी बीच शनिवार को कांग्रेस ने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुला ली है। इस बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय, कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा मोना हिस्सा लेंगी। वह दिल्ली रवाना हो गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष दोनों लोकसभा क्षेत्रों में अब तक की गई तैयारी से संबंधित पूरी रिपोर्ट लेकर दिल्ली जा रहे हैं। उम्मीद है कि इस बैठक में रायबरेली और अमेठी उम्मीदवार के नाम पर भी मुहर लग सकती है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में गठबंधन के तहत मिली 17 सीटों में से 15 पर उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है। उत्तर प्रदेश में दो चरण का चुनाव भी पूरा हो चुका है।
बूथ स्तर पर तैयार हैं कार्यकर्ता
लोकसभा क्षेत्र के मीडिया समन्वयक डॉ. अरविंद चतुर्वेदी ने बताया कि पार्टी की ओर से बूथवार तैयारी पूरी कर ली गई है। कमेटियां गठित कर उसकी रिपोर्ट प्रदेश कार्यालय को भेजी गई है। अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र में बूथ कमेटियों की बैठक भी हो रही है। हर जगह से राहुल गांधी को चुनाव मैदान में आने की मांग की जा रही है। यही स्थिति रायबरेली में भी है। उन्होंने कहा कि जनता दोनों सीटों पर कांग्रेस को वोट देने के लिए तैयार है। इस बार अलग तरह का रुझान दिख रहा है। लोगों में कांग्रेस के प्रति भरपूर उत्साह है।
अमेठी और रायबरेली से मिलेगा दीर्घकालीन फायदा
अमेठी और रायबरेली की सियासी नब्ज पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार राज खन्ना कहते हैं कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के यूपी से चुनाव लडऩे का पार्टी को दीर्घ कालीन फायदा मिलेगा। यदि वे यहां से जुड़ाव स्थापित करने में सफल होते हैं तो अन्य लोकसभा क्षेत्रों में बेहतर माहौल बनेगा। साथ ही 2027 के चुनाव के लिए नए सिरे से सियासी समीकरण बनेगा। इतना जरूर है कि राहुल गांधी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि अब सियासत बदल गई है। सिर्फ हाथ हिलाने और चमकदार चेहरे के दाम पर चुनाव नहीं जीता जा सकता है, बल्कि वोटरों के बीच पैठ बढ़ानी होगी।
वहीं वरिष्ठ पत्रकार संतोष यादव कहते हैं कि पिछली बार अमेठी से राहुल गांधी के हारने की बड़ी वजह जनता से दूरी थी। इस बार देखा जाए तो राहुल गांधी के लिए वायनाड भी अनुकूल नहीं है। वहां कम्युनिस्ट पार्टी ने भी उनको घेर रखा है। इस स्थिति में राहुल गांधी फिर से यूपी लौट सकते हैं। अमेठी और रायबरेली में नामांकन तीन मई को है। इस बात की भी संभावना है कि राहुल गांधी रायबरेली से उम्मीदवार हो जाएं। क्योंकि अमेठी की अपेक्षा रायबरेली राहुल गांधी के लिए ज्यादा सुरक्षित है।