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हैदराबाद (ए)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि देश के भुला दिए गए गौरव को पुन: स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने भारतीय संस्कृति के उत्थान पर जोर दिया। वे यहां राष्ट्रवादी विचारकों द्वारा आयोजित कार्यक्रम लोकमंथन-2024 को संबोधित कर रहे थे।
भारत के दृष्टिकोण में तर्क और बुद्धि
इस दौरान भागवत ने वैज्ञानिकों द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) के उपयोग में नैतिकता पर जोर देने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत की मूल्य प्रणाली व्यक्ति की बुद्धिमता पर जोर देती है। मुद्दों के प्रति भारत के दृष्टिकोण में तर्क और बुद्धि है और देश को समस्याओं के निदान के लिए अन्य दृष्टिकोणों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।
सनातन धर्म और संस्कृति को समकालीन रूप देना होगा
उन्होंने कहा कि भारत विदेशों से अच्छी चीजें ले सकता है लेकिन इसकी अपनी प्रकृति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने सनातन धर्म और संस्कृति को समकालीन रूप देने के बारे में सोचना होगा। उन्होंने कहा कि भारत को बाहरी आलोचनाओं का जवाब देने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह पहले ही व्यावहारिक और दार्शनिक दोनों क्षेत्रों में सफल हो चुका है। दुनिया देख चुकी है।