नईदिल्ली (ए)। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) की विश्व बौद्धिक संपदा संकेतक (WIPI) 2024 रिपोर्ट ने भारत के बौद्धिक संपदा (IP) क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति को उजागर किया है। इस रिपोर्ट में भारत के पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइनों जैसे प्रमुख IP क्षेत्रों में जबरदस्त वृद्धि दिखाई गई है, जो देश को वैश्विक नवाचार के क्षेत्र में एक शक्तिशाली खिलाड़ी के रूप में उभरने का संकेत देती है।
भारत की पेटेंट फाइलिंग में वृद्धि
भारत ने 2023 में 64,480 पेटेंट फाइल किए जिससे देश वैश्विक पेटेंट आवेदनों में छठे स्थान पर पहुंच गया है। यह उपलब्धि भारत को चीन, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे प्रमुख IP शक्तियों के साथ खड़ा करती है। भारत का पेटेंट दाखिल करने में 15.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई जो शीर्ष 20 वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ है। विशेष रूप से 55.2 प्रतिशत पेटेंट भारतीय निवासियों द्वारा फाइल किए गए जो देश में नवाचार के बढ़ते स्तर को दर्शाता है।
इसके अलावा भारतीय पेटेंट कार्यालय ने पिछले साल की तुलना में 149.4 प्रतिशत अधिक पेटेंट दिए जो इसके बढ़ते और विकसित होते IP पारिस्थितिकी तंत्र का संकेत है।
औद्योगिक डिजाइनों में वृद्धि
भारत में औद्योगिक डिजाइन आवेदन भी तेजी से बढ़े हैं। 2023 में औद्योगिक डिजाइनों के लिए 36.4 प्रतिशत वृद्धि देखी गई जो भारतीय उत्पाद डिजाइनों और विनिर्माण में बढ़ते फोकस को दर्शाती है। यह वृद्धि न केवल उत्पादों के डिज़ाइन बल्कि उनके कार्यक्षमता और सौंदर्य में भी नवाचार की ओर इशारा करती है।
ट्रेडमार्क फाइलिंग में वृद्धि
भारत ने 2023 में ट्रेडमार्क फाइलिंग में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी। वैश्विक स्तर पर भारत का चौथा स्थान रहा, जिसमें 6.1 प्रतिशत वृद्धि हुई। इनमें से 90 प्रतिशत फाइलिंग भारतीय निवासियों द्वारा की गई थीं जो मुख्य रूप से स्वास्थ्य, कृषि, और वस्त्र जैसे क्षेत्रों से संबंधित थीं। भारत के ट्रेडमार्क कार्यालय के पास अब दुनिया में सक्रिय पंजीकरणों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है जिसमें 3.2 मिलियन से अधिक ट्रेडमार्क शामिल हैं।
भारत के आईपी प्रदर्शन में महत्वपूर्ण वृद्धि
2018 से 2023 के बीच, भारत के पेटेंट, ट्रेडमार्क, और औद्योगिक डिजाइनों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पेटेंट दाखिल करने की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है, और ट्रेडमार्क फाइलिंग में 60 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। भारत का पेटेंट-टू-जीडीपी अनुपात पिछले दशक में 144 से बढ़कर 381 हो गया है जो भारत की आर्थिक प्रगति और विकसित होते IP क्षेत्र का प्रमाण है।
सरकारी पहलों का योगदान
भारत की बौद्धिक संपदा में वृद्धि को सरकारी पहलों से भी बल मिला है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) नीति 2016 में शुरू की जिसका उद्देश्य IP जागरूकता बढ़ाना और देश में एक मजबूत IP पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। इस नीति के तहत IP कार्यालयों का डिजिटलीकरण और आधुनिकीकरण किया गया है जिससे IP प्रक्रियाओं की गति और दक्षता में सुधार हुआ है।
इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा जागरूकता मिशन (NIPAM) और प्रौद्योगिकी नवाचार सहायता केंद्र (TISC) जैसी पहलों के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों और व्यवसायों में IP जागरूकता का विस्तार किया जा रहा है। भारत के विश्वविद्यालयों में IPR चेयर स्थापित की जा रही हैं ताकि IP के महत्व को छात्रों और शोधकर्ताओं के बीच बढ़ावा दिया जा सके।
भारत का नवाचार और वैश्विक IP परिदृश्य में योगदान
भारत का बढ़ता IP प्रदर्शन वैश्विक नवाचार के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण योगदान है। 2023 में 3.55 मिलियन पेटेंट आवेदन दुनिया भर में दायर किए गए जिसमें भारत का भी अहम योगदान था। इस बढ़ोतरी में भारत का स्थान खास तौर पर उभरते बाजारों में देखने को मिलता है जहां स्थानीय नवाचार को बढ़ावा मिल रहा है।
भारत का भविष्य: वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में
WIPO रिपोर्ट 2024 और GII रैंकिंग में भारत के शानदार प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि देश वैश्विक नवाचार शक्ति के रूप में तेजी से उभर रहा है। पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइनों में हुई प्रगति के साथ भारत वैश्विक IP परिदृश्य में अपनी जगह मजबूत कर रहा है। जैसे-जैसे भारत अपनी नवाचार क्षमताओं को बढ़ा रहा है उसे मजबूत नीति ढांचे और गतिशील उद्यमी पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन प्राप्त हो रहा है। यह भारत को भविष्य में वैश्विक तकनीकी उद्योग में अपनी स्थिति को मजबूत करने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में सक्षम बनाएगा।
अंत में बता दें कि भारत का बौद्धिक संपदा क्षेत्र अब वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत कर चुका है। पेटेंट, ट्रेडमार्क और औद्योगिक डिजाइनों में वृद्धि ने भारत को नवाचार के क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है। साथ ही सरकार की समर्थन योजनाओं और बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम के साथ भारत एक शक्तिशाली नवाचार केंद्र के रूप में उभरने की दिशा में बढ़ रहा है।