नई दिल्ली (ए)। केंद्र सरकार देश में न्यूनतम वेतन यानी मिनिमम वेज की व्यवस्था खत्म करने की तैयारी में है। इसकी जगह अगले साल से देश में जीवनयापन वेतन यानी लिविंग वेज की व्यवस्था लागू करने का प्लान है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इस व्यवस्था की रूपरेखा बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) से तकनीकी सहायता मांगी है। लिविंग वेज वह न्यूनतम आय होती है जिससे कोई मजदूर अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकता है। इसमें आवास, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कपड़ें शामिल हैं। आईएलओ ने इसी महीने की शुरुआत में इसे मंजूरी दी थी। सरकार का दावा है कि यह बुनियादी न्यूनतम वेतन से अधिक होगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया कि हम एक साल में न्यूनतम वेतन से आगे जा सकते हैं।
आईएलओ के गवर्निंग बॉडी की 14 मार्च को जिनेवा में संपन्न हुई 350वीं बैठक में न्यूनतम वेतन से जुड़े सुधारों को मंजूरी दी गई। भारत में 50 करोड़ से वर्कर हैं और उनमें से 90% असंगठित क्षेत्र में हैं। उन्हें रोजाना कम से कम 176 रुपए या उससे अधिक मजदूरी मिलती है। यह इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस राज्य में काम कर रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन में 2017 से कोई संशोधन नहीं
राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन में 2017 से कोई संशोधन नहीं किया गया है। कुछ राज्य द्वारा इससे भी कम मजदूरी मजदूरों को उपलब्ध कराई जाती है। साल 2019 में भारत वेतन संहिता को अभी लागू किया जाना बाकी है। ऐसे में एक लिविंग वेज का प्रस्ताव सामने लाया जा सकता है।
न्यूनतम वेतन को खत्म कर यदि लिविंग वेज के कार्यान्वन पर ध्यान दिया जाता है तो इसके सकारात्मक परिणाम नजर आएंगे। वहीं आर्थिक परिणाम के लिए क्षमता निर्माण, डाटा के लिए व्यवस्थित संग्रह और साक्ष के आधार पर लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के प्रयास में गति बढ़ेगी। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम ऑर्गेनाइजेशन से मदद की मांग की गई है।