नईदिल्ली (ए)। भारत में राजनीति, उद्योग-अर्थव्यवस्था, शिक्षा, नौकरशाही और सेना जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। खुद महिलाओं ने भी इन क्षेत्रों में खुद को शून्य से आगे बढ़ाते हुए स्थापित किया है। इन क्षेत्रों का विश्लेषण करने पर सामने आया कि देश ने अलग-अलग क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी यानी समावेशन को बेहतर तो किया है, साथ ही भविष्य में इनमें सुधारों की रफ्तार बढ़ाने के भी इंतजाम किए हैं। हालांकि कुछ क्षेत्रों में अब भी काफी काम करने की जरूरत सामने आई है। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम भी ‘समावेश को प्रेरित’ करना है, जो भारत के प्रयासों से जुड़ रहा है। साल 1951 में जब पहली लोकसभा चुनी गई, तो महज 22 महिलाएं सांसद बन सकी थीं। यानी सिर्फ 5 प्रतिशत। मौजूदा लोकसभा में इनकी संख्या 78 तक पहुंच गई। 2014 में हुए चुनाव के बाद भी 62 महिलाएं जीत कर लोकसभा में आई थीं। स्पष्ट है कि लोकतंत्र की प्रतिनिधि और नेतृत्वकर्ता के रूप में महिलाओं की स्थिति लगातार मजबूत हो रही है। सितंबर, 2023 में संसद ने महिलाओं को लोकसभा में 33 प्रतिशत आरक्षण का बिल पास करने के साथ ही बड़े सुधारों की भी शुरुआत कर दी। भविष्य में यह सुधार महिलाओं का लोकतंत्र में समावेश कई गुना बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। यानी अब सुधार धीरे-धीरे नहीं, तेजी से होंगे।