नई दिल्ली (ए)। संसद में बजट सेशन का आज आखिरी दिन लोकसभा की शुरुआत राम मंदिर निर्माण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के साथ हुई. दोपहर 2:30 बजे गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि मैं आज अपने मन की बात और देश की जनता की आवाज को इस सदन के सामने रखना चाहता हूं, जो वर्षों से कोर्ट के कागजों में दबी हुई थी. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उसे आवाज भी मिली और अभिव्यक्ति भी मिली.
22 जनवरी लंबे संघर्ष और एक आंदोलन के अंत का दिन
उन्होंने कहा कि 22 जनवरी का दिन 10 सहस्त्र सालों के लिए ऐतिहासिक दिन बनने वाला है. ये सबको समझना चाहिए. जो इतिहास को नहीं पहचानते हैं, वो अपने वजूद को खो देते हैं. 22 जनवरी का दिन 1528 में शुरू हुए एक संघर्ष और एक आंदोलन के अंत का दिन है. 1528 से शुरू हुई न्याय की लड़ाई इस दिन समाप्त हुई.
देश की कल्पना राम के बिना नहीं की जा सकती
उन्होंने कहा कि इस देश की कल्पना राम और रामचरितमानस के बिना नहीं की जा सकती. राम का चरित्र और राम इस देश के जनमानस का प्राण है. जो राम के बिना भारत की कल्पना करते हैं, वो भारत को नहीं जानते. राम प्रतीक हैं कि करोड़ों लोगों के लिए आदर्श जीवन कैसे जीना चाहिए, इसीलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है.
गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत की संस्कृति और रामायण को अलग करके देखा ही नहीं जा सकता. कई भाषाओं, कई प्रदेशों और कई प्रकार के धर्मों में भी रामायण का जिक्र, रामायण का अनुवाद और रामायण की परंपराओं को आधार बनाने का काम हुआ है. राम मंदिर आंदोलन से अनभिज्ञ होकर कोई भी इस देश के इतिहास को पढ़ ही नहीं सकता.
राजाओं, संतों, निहंगों, अलग-अलग संगठनों ने लड़ी राम के लिए लड़ाई
उन्होंने कहा कि 1528 से हर पीढ़ी ने इस आंदोलन को किसी न किसी रूप में देखा है. ये मामला लंबे समय तक अटका रहा, भटका रहा. मोदी जी के समय में ही इस स्वप्न को सिद्ध होना था और आज देश ये सिद्ध होता देख रहा है. अनेक राजाओं, संतों, निहंगों, अलग-अलग संगठनों और कानून विशेषज्ञों ने इस लड़ाई में योगदान दिया है. मैं आज 1528 से 22 जनवरी, 2024 तक इस लड़ाई में भाग लेने वाले सभी योद्धाओं को विनम्रता के साथ स्मरण करता हूं.