नई दिल्ली (ए)। सरकार की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था पर संसद में गुरुवार को पेश किये गये श्वेतपत्र में कहा गया है कि डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पिछली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार को विरासत में एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था मिली थी लेकिन उसने 10 साल में उसे पंगु बना दिया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस श्वेतपत्र की प्रतियां दोनों सदनों में प्रस्तुत कीं। इस पर चर्चा इसी सत्र में बाद में करायी जा सकती है। श्वेतपत्र में कहा गया है कि संप्रग के समय देश में महंगाई दर 10 प्रतिशत से ऊंची बनी हुई थी और बैंकिंग क्षेत्र कमजोर हो गया था।
इसमें कहा गया है कि संप्रग सरकार के समय के अन्य वृहद आर्थिक आंकड़े दर्शाते हैं कि उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत खराब थी और इससे देश की छवि खराब हुई और निवेशकों का विश्वास डगमगा गया था। श्वेतपत्र में यह भी कहा गया है कि संप्रग सरकार को आर्थिक वृद्धि की गति तेज करने की ऐसी पड़ी थी कि उसने अर्थव्यवस्था के वृहद बुनियादी स्तम्भों की अनदेखी की। श्वेतपत्र में कहा गया है, “ इनमें ऐसा एक स्तम्भ मूल्य स्थिरता का स्तम्भ है जिसे संप्रग सरकार ने बुरी तरह कमजोर कर दिया था। 2009 से 2014 के दौरान महंगाई आसमान पर थी और उसका दुष्प्रभाव आम आदमी को झेलना पड़ा। दस्तावेज में कहा गया है कि भारतीय बैकिंग क्षेत्र का संकट संप्रग सरकार की सबसे बुरी विरासतों में से एक था जबकि बैंकिंग क्षेत्र किसी अर्थव्यवस्था के लिये सबसे महत्वपूर्ण होता है। श्रीमती सीतारमण की ओर से प्रस्तुत इस दस्तावेज में कहा गया है कि यह ऐसा दौर है जिसमें पूंजी का प्रवाह बड़े मायने रखता है लेकिन संप्रग सरकार के प्रबंधन में कमियों के कारण विदेशी बाजारों के उतार-चढ़ाव के आगे भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक कमजोर दिखने लगी क्योंकि उस समय सरकार ने विदेशी वाणिज्यिक कर्ज पर निर्भरता बहुत बढ़ा दी थी।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रस्तुत इस वर्तमान श्वेतपत्र के जरिये सरकार विपक्ष की क्षमता पर कोई प्रश्न चिह्न खड़ा करते हुये कहा गया है कि उस समय कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट का सामना करने के लिये राजकोषीय प्रोत्साहनों का जो पैकेज लागू किया था, वह रोग से बड़ी समस्या बन गया जिसके इलाज के लिये उसे लाया गया था। श्वेतपत्र में कहा गया है कि वाजपेयी सरकार ने आर्थिक सुधारों के माध्यम से अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत और रफ्तार तेज कर रखी थी लेकिन संप्रग सरकार ने उसका फायदा नहीं उठाया और पूरा एक दशक बर्बाद गया। श्वेतपत्र में संप्रग के कार्यकाल में सरकार के तमाम कामों और फैसलों में भ्रष्टाचार व्याप्त होने की बात भी कही गयी है जिसमें सरकारी खरीद, प्राकृतिक संसाधनों (खानों) के आवंटन और नियामकीय स्वीकृतियां शामिल थीं।
इसमें कहा गया है कि 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने तत्काल प्रणालियों और प्रक्रियाओं की ओवरहालिंग किया ताकि अर्थव्यवस्था को आगे ले जाया जा सके। मजेदार बात यह है कि कांग्रेस ने सरकार की ओर से रखे गये इस श्वेतपत्र से पहले आज ही मोदी सरकार के खिलाफ ‘10 साल अन्याय काल 2014-24’ शीर्षक ब्लैक पेपर निकाला है जिसमें पार्टी ने कहा है कि मोदी सरकार 10 साल में महंगाई ने गरीबों के मुंह का निवाला छीना है। आटा 22 रुपये से बढ़कर 35 रुपये किलाेग्राम, सरसों तेल 90 रुपये से बढ़कर 143 रुपये किलोग्राम हो गया है। कांग्रेस के ब्लैक पेपर में कहा गया है कि 2023 के वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत 125 देशों में 111 वें स्थान पर था और भारत की स्थिति पाकिस्तान (102 वां स्थान), बंगलादेश (81वां ) और नेपाल (69वां स्थान) से भी नीचे थी। उल्लेखनीय है कि श्रीमती सीतारमण ने एक फरवरी को वर्ष 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते हुये श्वेतपत्र लाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि श्वेतपत्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 से 2024 राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और इससे पहले 2004 से 2014 के बीच की तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दौरान अर्थव्यवस्था का तुलनात्मक चिट्ठा प्रस्तुत किया जायेगा। वित्त मंत्री ने कहा था कि इसका उद्देश्य पिछली गलतियाें से सबक लेकर आगे बढ़ना है। गौरतलब है कि संसद का वर्तमान सत्र एक दिन के लिये बढ़ा दिया गया है और संभवत: श्वेतपत्र पर चर्चा शनिवार को करायी जायेगी। भारत की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में सात प्रतिशत की अधिक की दर से बढ़ रही है। यह लगातार तीसरा वर्ष होगा जब अर्थव्यवस्था सात प्रतिशत से ऊपर की दर से वृद्धि दर्ज करेगी। भारत इस समय जी20 समूह की सबसे तेज गति से बढ़ रही अर्थव्यवस्था है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य सभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में बुधवार को कहा था कि भारत 2014 से पहले पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जा रहा था और आज देश विश्व की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और अनुमान है कि जल्द ही यह विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो जायेगा।