युगांडा (ए)। भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है. इजरायल-हमास (Israel Hamas War) जंग हो या रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukrain War) भारत ने हमेशा शांति से समस्याओं का हल निकालने पर जो दिया है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत ने एक बार फिर यह बात दोहराई. विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S Jaishankar) ने मानवीय संकट के स्थायी समाधान की आवश्यकता पर जोर देते हुए गाजा में संघर्ष के गंभीर मुद्दे को संबोधित किया. कंपाला में 19वें गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) शिखर सम्मेलन में जयशंकर ने जोर देकर कहा कि “आतंकवाद और बंधक बनाना अस्वीकार्य है.”
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर देते हुए एक बहुध्रुवीय दुनिया का आह्वान किया. विदेश मंत्री ने रेखांकित किया कि दुनिया ‘नए प्रकार की असमानता और वर्चस्व’ से जूझ रही है. युगांडा की राजधानी कंपाला में गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए जयशंकर ने “वसुधैव कुटुंबकम” से प्रेरित भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि 2019 में अजरबैजान की राजधानी बाकू में एनएएम की बैठक के बाद से दुनिया पूरी तरह बदल गई है.
कोविड-19 महामारी ने हम सभी को तबाह कर दिया है, जिसके घाव भरने में पीढ़ियां लग जाएंगी. ऐसे संघर्ष चल रहे हैं, जिनका असर दूर-दूर तक महसूस किया जा रहा है. विशेष रूप से गाजा हमारी चिंता के केंद्र में है- एस. जयशंकर
गाजा में संघर्ष स्पष्ट रूप से हमारी चिंता के केंद्र…
विदेश मंत्री ने कहा, “गाजा पट्टी में मानवीय संकट के लिए एक ‘स्थायी समाधान’ की आवश्यकता है, जो सबसे अधिक प्रभावित लोगों को तत्काल राहत दे.” अपने संबोधन में उन्होंने कहा, “गाजा में संघर्ष स्पष्ट रूप से हमारी चिंता के केंद्र में है. इस मानवीय संकट के लिए एक स्थायी समाधान की आवश्यकता है, जो सबसे अधिक प्रभावित लोगों को तत्काल राहत दे.”
आतंकवाद का रास्ता और बंधक बनाना अस्वीकार्य
गुटनिरपेक्ष आंदोलन 120 देशों का एक मंच है जो औपचारिक रूप से किसी भी प्रमुख शक्तिशाली गुट के साथ या उसके खिलाफ गठबंधन नहीं करता है. जयशंकर ने इस महत्वपूर्ण समय में एनएएम की अध्यक्षता संभालने के लिए युगांडा की भी सराहना की.
सांस्कृतिक पुनर्संतुलन पर जोर देने की आवश्यकता
एस जयशंकर ने कहा कि जलवायु परिवर्तन तेजी से और नियमित रूप से खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है और कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने इसका प्रभाव महसूस नहीं किया है. उन्होंने कहा, “कर्ज, मुद्रास्फीति और विकास की चुनौतियों ने भी विकास पर भारी असर डाला है. हमने भले ही उपनिवेशवाद को उखाड़ फेंका हो, लेकिन हम असमानता और वर्चस्व के नए रूपों से संघर्ष कर रहे हैं.” उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण का युग अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है जो शेष विश्व को केवल बाजार या संसाधन के रूप में मानते हैं. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में सुधार पर जोर देते हुए बहुध्रुवीय दुनिया का आह्वान किया. उन्होंने कहा, “हमें सांस्कृतिक पुनर्संतुलन पर भी जोर देना चाहिए जहां सभी विरासतों का परस्पर सम्मान किया जाए.”