नई दिल्ली (ए)। आगामी लोक सभा चुनाव में जनाधार बढ़ाकर 50 प्रतिशत वोट हासिल करने के मिशन में जुटी भाजपा, विपक्षी गठबंधन में शामिल कांग्रेस, सपा, जेडीयू, आरजेडी, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और आरएलडी सहित अन्य विपक्षी दलों में सेंध लगाने की योजना को धीरे-धीरे अमलीजामा पहनाना शुरू करने जा रही है। पार्टी की नजर बसपा और बीआरएस जैसे दलों पर भी है जो फिलहाल कांग्रेस वाली विपक्षी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं।
भाजपा की इस रणनीति का सबसे खास पहलू यह है कि पार्टी की नजर सिर्फ दूसरे दलों के प्रभावशाली राष्ट्रीय नेताओं पर ही नहीं है बल्कि भाजपा की नजर बूथ स्तर से लेकर मंडल, विधान सभा, जिला, लोक सभा और राज्य स्तर के उन प्रभावशाली नेताओं पर भी है, जो लोकप्रिय और प्रभावशाली हैं, जो चुनावी जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और किसी न किसी वजह से अपने-अपने दलों में हाशिये पर हैं या नाराज चल रहे हैं।
भाजपा की नजर खास तौर पर दूसरे दलों के उन नेताओं पर है जो ग्राम प्रधान, वार्ड पार्षद, बीडीसी सदस्य, जिला पंचायत या नगर निगम सदस्य, जिला पंचायत अध्यक्ष या मेयर, विधायक, एमएलसी, सांसद हैं या इन पदों पर रह चुके हैं या इन पदों के लिए चुनाव लड़कर अच्छे-खासे वोट हासिल कर चुके हैं।
पार्टी ने इसके लिए इसके जिला स्तर से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक महत्वपूर्ण नेताओं की टीम का भी गठन कर दिया है जो विपक्षी दलों के प्रभावशाली और लोकप्रिय नेताओं को भाजपा में शामिल कराने के मिशन को अंजाम देगी। जिला स्तर पर जिला भाजपा कार्यकारिणी के महत्वपूर्ण नेताओं को यह जिम्मा सौंपा गया है। वहीं, राज्य स्तर पर पार्टी ने ज्यादातर अपने उन नेताओं को यह जिम्मेदारी सौंपी है, जिनके दूसरे दलों के नेताओं के साथ भी अच्छे संबंध हैं। राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है। यादव के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा भी इस मुहिम में अहम भूमिका निभाएंगे। दूसरे दलों के प्रभावशाली और लोकप्रिय नेताओं के साथ-साथ ही पार्टी की कोशिश समाज के प्रतिष्ठित और अपने-अपने क्षेत्रों में बड़ी कामयाबी हासिल कर चुके लोगों को भी विभिन्न स्तरों पर पार्टी से जोड़ना है।