Home छत्तीसगढ़ नेशनल लोक अदालत की सुनवाई 16 दिसम्बर को, निराकरण हेतु 10 हजार से अधिक मामले प्रकरण

नेशनल लोक अदालत की सुनवाई 16 दिसम्बर को, निराकरण हेतु 10 हजार से अधिक मामले प्रकरण

by admin
  • नेशनल लोक अदालत की सुनवाई 16 दिसम्बर को

दुर्ग।  राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देश अनुसार वर्ष-2023 की चतुर्थ एवं अंतिम नेशनल लोक अदालत जिला न्यायालय दुर्ग, परिवार न्यायालय दुर्ग, श्रम न्यायालय दुर्ग, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएं) दुर्ग तथा किशोर न्याय बोर्ड व तहसील न्यायालय भिलाई-3, पाटन व धमधा में आयोजित की जाएगी। 16 दिसम्बर को आयोजित नेशनल लोक अदालत की तैयारी अपने अंतिम चरण में है जिसके तहत आपसी राजी नामा योग्य अधिक आपराधिक मामले, सिविल मामले, मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण से संबंधित मामले, परिवार न्यायालय में पारिवारिक विवाद के प्रकरण, श्रम न्यायालय के प्रकरण, स्थायी लोक अदालत में जनोपयोगी सेवाएं से संबंधित प्रकरण व राजस्व से संबंधी लगभग 10,077 मामले एवं बैंक वित्तीय संस्था विद्युत, दूरसंचार एवं नगर निगम के बकाया राशि के संबंध में संबंधित विभाग द्वारा न्यायालय में प्रकरण प्रस्तुत किये जाने के पूर्व प्री-लिटिकेशन प्रकरण के कुल 4933 से अधिक मामले सुनवाई हेतु रखे गए हैं। वही संबंधित चिन्हांकित व रखे गये मामलों के नेशनल लोक अदालत की तिथि में अधिक से अधिक संख्या में निराकरण किये जाने न्यायालय के पीठासीन अधिकारीगण द्वारा नियमित रूप से पक्षकारों के मध्य फ्री-सीटिंग/बैठक का आयोजन अधिक संख्या में किये जा रहे हैं। जिससे प्रकरण 16 दिसंबर 2023 को आयोजित नेशनल लोक अदालत में अधिक से अधिक संख्या में प्रकरण निराकृत होने की संभावना है। 16 दिसंबर 2023 को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत में चिन्हांकित कर रखे गए मामलों की सुनवाई हेतु जिला न्यायालय दुर्ग, परिवार न्यायालय दुर्ग, व्यवहार न्यायालय तहसील भिलाई-3, पाटन, धमधा एवं किशोर न्याय बोर्ड, जनोपयोगी सेवाएं से संबंधित स्थायी लोक अदालत तथा श्रम न्यायालय के कुल 32 खंडपीठ का गठन माननीय जिला एवं सत्र न्यायालय दुर्ग के निर्देशानुसार गठित की जाएगी। संबंधित गठित खंडपीठ में नेशनल लोक अदालत की तिथि में प्रकरणों की सुनवाई पक्षकारों के मध्य सौहाद्रपूर्ण वातावरण में आपसी सहमति/राजीनामा के आधार पर किए जाएंगे। नेशनल लोक अदालत में आपसी राजीनामा के आधार पर अपने मामलों के निराकरण हेतु पक्षकार अधिक से अधिक संख्या में संबंधित खंडपीठ या न्यायालय में उपस्थित रहे और लोग अदालत के माध्यम से अपने मामलों का निराकरण कर समय एवं अन्य कठिनाइयों से बचे। क्योंकि नेशनल लोक अदालत में प्रकरण की सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में पक्षकारों के मध्य विवाद का निपटारा आपसी सहमति या राजीनामा से होने के कारण उक्त निराकृत मामलों की अपील भी नहीं होती है।

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