Home देश-दुनिया चक्रवात मिचौंग के आज और कल तेज होने की आशंका, रेलवे ने 144 ट्रेनें रद्द की

चक्रवात मिचौंग के आज और कल तेज होने की आशंका, रेलवे ने 144 ट्रेनें रद्द की

by admin

नईदिल्ली (ए)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चक्रवात ‘मिचौंग’ से निपटने की तैयारियों का जायजा लेने के लिए रविवार को आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रैड्डी से बात की और उन्हें हरसंभव मदद का आश्वासन दिया। पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर बन रहा चक्रवाती तूफान ‘मिचौंग’ तेजी से आगे बढ़ रहा है।

रेलवे ने 144 ट्रेनें रद्द कर दी हैं
भारत मौसम विभाग (एम.आई.डी.) ने बताया कि तूफान बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से में उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ रहा है। विभाग के अनुसार उत्तरी तमिलनाडु और दक्षिणी आंध्र प्रदेश के तटों पर पहुंचने पर चक्रवात के फिर से मुड़ने और उत्तर दिशा की ओर बढ़ने की संभावना है। यह 5 दिसम्बर को एक तीव्र चक्रवाती तूफान के रूप में दक्षिणी आंध्र प्रदेश के तट से गुजर सकता है। चक्रवात को देखते हुए साऊथ सेंट्रल रेलवे ने 144 ट्रेनें रद्द कर दी हैं।

12 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच की गति से चलेंगी हवाएं 
वहीं, बंगाल की खाड़ी में पूर्व में आए चक्रवात मिचौंग के प्रभाव के कारण पूर्वी उत्तर प्रदेश में बादलों की आवाजाही दिखेंगी। जिसके कारण भदोही जनपदों में भी हल्के बादल छाये रहने के आसार है। मौसम वैज्ञानिक सर्वेश बरनवाल ने बताया कि बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान मिचौंग का असर अगले कुछ दिनों तक उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल सहित देश के विभिन्न भागों में पड़ने की संभावना प्रबल है। मिचौंग के कारण पूर्वा हवाएं बनी रहेगी, लेकिन उसकी गति में वृद्धि देखे जाने के भी आसार हैं जिससे सिहरन के साथ हवाएं 10 से 12 किलोमीटर प्रति घंटा के बीच की गति से चल सकती हैं।

प्रतिदिन आशिंक धूप होने से रात के तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की जाएगी जबकि दिन का तापमान वर्तमान की तरह ही 25 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच देखा जाएगा। घने कोहरे का प्रभाव भी अभी जनपद में प्रतिदिन देखे जाने के आसार हैं।

 बारिश के प्रभाव में आएंगे ये क्षेत्र
चक्रवात मिचौंग के कारण पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड के कुछ क्षेत्र बारिश के प्रभाव में आएंगे। ऐसे में खेत में खड़ी अथवा कटी हुई धान की फसल को तत्काल संवारने की जरूरत है, मौसम के रूख को देखते हुए किसानों से अपेक्षा की गई है कि युद्ध स्तर पर धान की मड़ाई कर उत्पाद को सुरक्षित कर लें।

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