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नई दिल्ली (एं)। विधि आयोग ने सलाह दी है कि पॉक्सो अधिनियम के तहत शारीरिक संबंध के लिए सहमति की मौजूदा उम्र के साथ फेरबदल करना उचित नहीं है। सहमति की उम्र कम करने से बाल विवाह और बाल तस्करी के खिलाफ लड़ाई पर सीधा और नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। 16 से 18 वर्ष की आयु के किशोरों की मौन स्वीकृति से जुड़े मामलों में स्थिति को सुधारने के लिए पॉक्सो अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता है।
विधि आयोग ने पॉक्सो कानून के मामले में दी गई रिपोर्ट में कानून की बुनियादी सख्ती को बरकरार रखने की हिमायत की है, सीधे तौर पर कहा जाए तो सहमति से संबंध बनाने की उम्र में कोई बदलाव नहीं करते हुए कुछेक पहलुओं को कानून में शामिल करने को कहा है। आयोग ने पॉक्सो एक्ट की धारा-4 और धारा-8 में संशोधन करके आयोग द्वारा सुझाए गए विभिन्न पहलुओं को शामिल करने की सिफारिश सरकार से की है।