सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं की शुरुआत आगामी एक मार्च से होने जा रही है । इस परीक्षा की सबसे बड़ी विशेषता 20 नंबरों का मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन रखा जाना है । विद्यार्थी यदि पूरे पाठ्यक्रम की गंभीरता पूर्वक तैयारी करते हैं , तो 20 अंकों का यह भाग उन्हें परीक्षा में उच्च अंक दिला सकता है । सभी विषयों में 20 अंकों का एमसीक्यू वैसे भी महत्वपूर्ण हिस्सा माना जा सकता है । दूसरी ओर बोर्ड ने प्रश्न पत्रों को किस प्रकार से तैयार कराया है , इसका सैंपल भी बोर्ड द्वारा साइट पर उपलब्ध कराया गया है । यदि विद्यार्थी सैंपल पेपर का अवलोकन करें और उसके आधार पर अपनी तैयारी को अंजाम दें तो किस प्रश्न में कितना समय और किस प्रश्न का कितने शब्दों में उत्तर देना है , इसकी भली-भांति जानकारी उच्च अंक के मार्ग में हौसला बढ़ा सकती है । विशेषकर गणित और कॉमर्स के विद्यार्थियों के लिए अकाउंटेंसी का पर्चा बड़ा महत्व रखता है । साथ ही विज्ञान के विद्यार्थियों को फिजिक्स और केमिस्ट्री जैसे विषय परेशान करते रहे हैं । इन विषयों की तैयारी में मॉडल प्रश्न पत्र आसान मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं । इस बात को ध्यान रखा जाना चाहिए कि प्रश्न पत्र में आए किसी भी प्रश्न को बिना उत्तर दिए ना छोड़ा जाए । कारण यह कि मूल्यांकन के समय किस तरह विद्यार्थियों को नंबर प्रदान करना है , इस पर एक पूरा प्रशिक्षण सत्र संपन्न होता है । यदि विद्यार्थी ने थोड़ा भी उत्तर लिखा है या उत्तर के आसपास है तो उसे कुछ ना कुछ अंक जरूर प्रदान किए जाते हैं।
मैंने भी लंबा समय सीबीएसई स्कूल में अकाउंटेंसी और बिजनेस स्टडीज जैसे विषयों को पढ़ाने में लगाया है । 12वीं बोर्ड के विद्यार्थियों को सुझाव के तौर पर यह कह सकता हूं कि बोर्ड द्वारा निर्धारित किए गए आधा घंटे के समय में उन्हें ध्यानपूर्वक प्रश्न पत्रों का अवलोकन अवश्य करना चाहिए । इस आधा घंटे के समय को हिस्सों में विभाजित किया गया है । पहला 15 मिनट उत्तर पुस्तिका में इंद्राज के लिए तथा अगले 15 मिनट प्रश्नपत्र को पढ़ने और समझने के लिए दिए गए हैं । बोर्ड ने विद्यार्थियों की घबराहट को समाप्त करने के लिए ही शायद इस तरह की व्यवस्था की है । किसी भी स्थिति में इसका लाभ अवश्य उठाना चाहिए । जहां तक बात करें वाणिज्य संकाय के विद्यार्थियों की , उन्हें सबसे अधिक कठिन विषय के रूप में अकाउंटेंसी परेशान करता आया है । नए पैटर्न के अनुसार उक्त विषय के प्रश्न पत्र में कुल 34 प्रश्नों को हल किया जाना है । सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न पत्र का प्रथम भाग एमसीक्यू के रूप में रखा गया है , जिसमें विद्यार्थियों को कुल 20 प्रश्नों का उत्तर देना है । इन प्रश्नों पर कुल 20 अंक निर्धारित हैं । यदि इन प्रश्नों का सहीं उत्तर दे दिया जाता है तो संपूर्ण विषय में अस्सी और नब्बे प्रतिशत के बीच अंक प्राप्त करना कोई बड़ी चुनौती नहीं मानी जा सकती है । कारण यह कि प्रैक्टिकल के रूप में भी उन्हें 18 से 20 के बीच अंक प्राप्त हो जाते हैं । एमसीक्यू मे भी 18 और 20 के बीच अंक प्राप्त होते हैं तो कुल 36 से 40 अंक मिल जाने की संभावना बन जाती है । बचे हुए 60 अंकों के प्रश्न पत्र में 3 , 4 और 6 नंबरों के प्रश्न हल करने होंगे ।
वाणिज्य संकाय में अकाउंटेंसी के प्रश्न पत्र को दो भागों में विभाजित किया गया है , जिसे पार्ट ए और बी के रूप में रखा जाता है । पार्ट ए सभी विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य होता है , जबकि पार्ट बी में दो पार्ट में से विद्यार्थी ने जिस पार्ट का चयन किया है उसे हल करना होता है । कुल मिलाकर यदि एमसीक्यू के प्रश्नों को छोड़ दिया जाए तो अब उन्हें 3 , 4 और 6 नंबर के प्रश्न हल करने हैं । पार्ट ए में तीन नंबरों वाले 4 प्रश्नों को रखा जाता है जबकि पार्ट बी में 2 प्रश्न तीन नंबर के होते हैं । इसी तरह पार्ट बी में चार नंबर वाले दो प्रश्न तथा पार्ट बी में एक प्रश्न होता है । ठीक इसी तरह 6 अंक वाले प्रश्नों की संख्या पार्ट ए में 4 तथा बी में एक हुआ करती है । इस बात पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए कि प्रश्न पत्र का कोई भी प्रश्न छोड़ा ना जाए । कारण यह कि मूल्यांकन के समय मूल्यांकन कर्ताओं को यह स्पष्ट निर्देश दिया जाता है कि विद्यार्थी ने प्रश्न के जितने भी हिस्से का उत्तर लिखा है , उसे उस आधार पर अंक प्रदान किए जाएं । अकाउंटेंसी का विषय ऐसे भी लगभग गणित विषय की तरह ही हुआ करता है । किसी भी प्रश्न में पूछी गई पंजी प्रविष्टियों पर अलग-अलग नंबर निर्धारित होते हैं । यदि प्रश्न का उत्तर अंतिम तक सही नहीं दिया गया है , तो उतने हिस्से पर नंबर अवश्य दिए जाते हैं , जितने विद्यार्थी ने सही जवाब लिखे हैं । यदि विद्यार्थी प्रश्न को छोड़ देते हैं तो उन्हें प्रश्न के पूरे अंको से हाथ धोने पड़ सकते हैं ।
प्रैक्टिकल और एमसीक्यू के प्रश्नों के नंबरों के अलावा विद्यार्थियों के पास 60 अंकों का प्रश्न पत्र और होता है , जिसका मूल्यांकन उनके अंक निर्धारण के लिए अति महत्वपूर्ण हो सकता है । इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रश्न पत्र का हल किया जाना चाहिए । जहां तक मैंने अपने शिक्षकीय जीवन में देखा है अकाउंटेंसी का प्रश्न पत्र साझेदारी और कंपनी लेखों पर अधिक फोकस करने वाला होता है । पूरे अकाउंटेंसी में साझेदारी एक ऐसा चैप्टर है जो पूरे पाठ्यक्रम के 40% तक अंको का निर्धारण कर जाता है । इसी तरह कंपनी चैप्टर भी विद्यार्थियों के द्वारा प्राप्त अंकों पर अपना खासा असर दिखाता है । साझेदारी के सामान्य लेखों से लेकर नए साझेदार का प्रवेश ,उसके लाभांश का निर्धारण , उसका अवकाश ग्रहण करना तथा साझेदारी का समापन आदि जैसे महत्वपूर्ण प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं । इसी तरह कंपनी वाले चैप्टर में अंशो का जारी किया जाना अंशों का बंटवारा उसका हरण किया जाना अंशों का पुनः जारी किया जाना आदि महत्वपूर्ण भाग होते हैं । इसी तरह ऋण पत्रों का निर्गमन तथा उनसे संबंधित प्रश्न भी आसान होते हुए विद्यार्थियों के लिए लाभदायक हो सकते हैं । विद्यार्थियों में यह भ्रांति अवश्य होती है कि साझेदारी वाला चैप्टर कठिन होता है , या अंशो के निर्गमन वाले प्रश्नों पर अंक प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण है । इस भ्रांति को अपने मन से निकाल देना चाहिए । कारण यह कि दोनों ही चैप्टर बहुत ज्यादा प्रतिशत को कवर करते हैं और कठिनाई के स्तर को ना छूते हुए केवल कुछ नियमों और पंजी प्रविष्टियों पर आधारित होते हैं , जिसे अकाउंटेंसी के सैद्धांतिक हिस्से को पढ़कर आसानी से समझा जा सकता है ।
इस विषय पर भी थोड़ी चर्चा करना चाहता हूं कि एमसीक्यू पर पूरे अंक कैसे प्राप्त कर सकते हैं ? जहां तक मैं समझता हूं प्रश्न पत्र का यह भाग अति महत्वपूर्ण है । इसमें पूरे अंक प्राप्त करने के लिए विशेष रुप से प्रत्येक अध्याय के गूढ़ अध्ययन को महत्वपूर्ण समझा जाना चाहिए । विशेषकर साझेदारी के सामान्य नियमों से लेकर नए साझेदार का प्रवेश , उसके प्रवेश पर अन्य साझेदारों के हिस्सों को तय किया जाना, किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण पर अन्य साझेदारों के हिस्सों में किस प्रकार वृद्धि हो रही है उसका मूल्यांकन किया जाना , अवकाश ग्रहण की स्थिति में उसके अधिकार तथा कर्तव्य , अवयस्क साझेदार तथा उसके वयस्क होने पर उसकी जवाबदरियां तथा अंशों के निर्गमन पर लागू होने वाले नियम , अंशो के हरण पर लागू किए जाने वाले नियम , रोकड़ प्रवाह तथा कोष प्रवाह वाले अध्याय में जिस प्रकार से नियम लागू हो रहे हैं , उनका गहन अध्ययन तथा रेस्यो प्रपोर्शन वाले अध्याय का भी गंभीरतापूर्वक अध्ययन इस मामले में महत्वपूर्ण हो सकता है ।
डॉ सूर्यकांत मिश्र
राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़ )