राजधानी के आंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआइ) के डाक्टरों ने बिना पैर काटे मरीज को आठ माह से हो रहे असहनीय दर्द से छुटकारा दिलाया है। मरीज पूरी तरह ठीक होकर डिस्चार्ज हो गया है, जबकि दिल्ली, जयपुर और गुड़गांव के डाक्टरों ने पैर काटने की सलाह देकर 15-16 लाख रुपये का खर्च बताया था।हरियाणा के जींद के रहने वाले 52 वर्षीय दिलबाग सिंह के पैर में आठ माह से असहनीय दर्द हो रहा था। उन्होंने गुड़गांव, दिल्ली और जयपुर जैसे शहरों के बड़े-बड़े अस्पतालों में जाकर अपनी जांच कराई तो पता चला कि नसें ब्लाक हो चुकी हैं। डाक्टरों ने उन्हें पैर काटने की सलाह दी और 15-16 लाख रुपये का खर्च बताया। इस पर उन्हें गूगल के जरिए आंबेडकर अस्पताल की एसीआइ यूनिट की जानकारी मिली और वे कार्डियोथोरेसिक सर्जन डा. केके साहू के पास पहुंचे। डा. साहू ने आपरेशन कर नसों का ब्लाकेज खोला और पैर कटने से बचा लिया।
डा. साहू ने बताया कि नसों में ब्लाकेज की समस्या डायबिटिक, स्मोकिंग करने वाले और तंबाकू का सेवन करने वालों को होती है। इसके निकोटीन नसों को ब्लाक कर देते हैं, जिससे इस तरह की समस्या होती है। ऐसे में नसों को साफ करने के साथ ही ग्राफ्ट लगाकर ही इसका इलाज किया जा सकता है।मरीज को 19 दिसंबर को एसीआइ में भर्ती किया गया था। 22 दिसंबर को आपरेशन हुआ। आपरेशन के दौरान घुटने के नीचे से तलवे तक की नसों से कोलेस्ट्राल को साफ किया गया। घुटने से लेकर एंकल तक सिंथेटिक ग्राफ्ट लगाया गया। पूरे आपरेशन में 1.95 लाख रुपये का ही खर्च आया।
मरीज को दो जनवरी सोमवार को डिस्चार्ज कर दिया गया है, वहीं मरीज ने सफल आपरेशन के बाद पैर कटने से बचाने के लिए एसीआइ के डाक्टरों का धन्यवाद दिया। मरीज ने सरकार से एसीआइ के डाक्टरों और स्टाफ को इलाज की हर संभव सुविधा देने की अपील की, ताकि उनकी तरह और भी मरीजों को कम खर्च में अच्छा इलाज मिल सके।