Home छत्तीसगढ़ देश के समान व स्वाभिमान के प्रतीक हैं महाराणा प्रताप

देश के समान व स्वाभिमान के प्रतीक हैं महाराणा प्रताप

by Surendra Tripathi

भिलाईनगर। क्षत्रिय कल्याण सभा भिलाई नगर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की 482 वीं जयंती समरसता दिवस के रूप में मनाई। इस दौरान उपस्थित लोगों ने महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके आदर्शों को नमन किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में शिरकत किए सेल के  सेवानिवृत्त अधिशासी निर्देशक डॉ एस एन सिंह  ने  महाराणा प्रताप जयंती पर उन्हें भावपूर्ण याद किया और कहा कि वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने मातृभूमि की रक्षा के लिए अनेकों कठिनाइयां सही, लेकिन देश के महान स्वाभिमान और सम्मान को ठेस नहीं पहुंचने दिया। ऐसे महान राष्ट्रभक्त के आदर्शों से सदैव ही राजपूत समाज के साथ पूरे देश को मार्गदर्शन प्राप्त होता रहेगा।उन्होने कहा कि हमे अपने आने वाली पीढी को भी अपने इतिहास से परिचित कराना आवश्यक हो गया है  इतिहास से हो रही छेड़छाड़ पर भी आपत्ति जताई।
समारोह के विशिष्ट अतिथि बिलासपुर छत्तीसगढ से पधारे राष्ट्रीय भावधारा के प्रख्यात साहित्यकार  राष्ट्रकवि डॉ बृजेश सिंह ने अपने उद्बोधन में निर्दिष्ट किया कि महाराणा प्रताप भारतीय अस्मिता के प्रतीक हैं तथा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आदर्श रहे हैं। महाराणा प्रताप का सर्व वर्ग से समन्वय का सबसे बड़ा प्रमाण है कि समाज के प्राय: सभी वर्गों ने युद्ध में उनका साथ दिया था। बप्पा रावल से लेकर प्रताप तक राष्ट्र के लिए मेवाड़ की सुदीर्घ बलिदानी परम्परा सतत गतिमान रही है। इस दौरान डॉ बृजेश सिंह ने अपने आहुति महाकाव्य से राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत काव्य प्रस्तुति देकर रोमांचित कर दिया। इस अवसर पर डॉ बृजेश सिंह ने अपनी पचास से अधिक पुस्तकें समाज के वाचनालय के लिए भेंट किया।
समारोह को संबोधित करते हुए कौशलेन्द्र प्रताप सिंह ने अपने उद्बोधन मे कहा कि महाराणा प्रताप  उदयपुर, मेवाड में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ प्रण के लिये अमर है। उन्होंने मुगल बादशहा अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक संघर्ष किया। महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को कईं बार युद्ध में भी हराया और हिंदुस्थान के पुरे मुगल साम्राज्य को घुटनो पर ला दिया। महाराणा प्रताप सभी जाति बिरादरी को साथ लेकर अकबर के खिलाफ लड़े, इतिहास पुरूष किसी एक जाति के नहीं होते वह सभी जाति के होते हैंकहा कि क्षत्रिय सभी समाजों को साथ लेकर चलने वाला होता है।
समारोह को सभा के अध्यक्ष दिग्विजय बहादुर सिंह,वरिष्ठ उपाध्यक्ष बद्री विशाल सिंह श्रीमती कल्पना भदौरिया ने भी संबोधित करते हुए महाराणा प्रताप के जीवन शैली पर प्रकाश डाला। समारोह मे श्रीमती माला सिंह ने वीर रस कविता सुनाई। इस अवसर पर श्रीमती गीता सिंह ने दीप प्रज्वलन के दौरान वंदना व देशभक्ति गीत का पठन किया ।क्षत्रिय कल्याण सभा  द्वारा आयोजित महाराणा प्रताप जयंती के उपलक्ष में आयोजित  कार्यक्रम बहुत ही भव्य था। कार्यक्रम की भव्यता, समारोह का सभा के संगठन मंत्री गजेन्द्र प्रताप सिंह का अनुशासित संचालन और स्थानीय क्षत्रियो व आयोजकों का अतिथि सत्कार वंदनीय था। समारोह के अंत मे आभार प्रदर्शन राणा अशोक कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर उल्लेखनीय संख्या में समाज के लोग उपस्थित रहे। समारोह में समाज के मंत्री अरविंद सिंह, कोषाध्यक्ष संजय सिंह, चंदनसिंह भदौरिया, माधव सिंह, डॉ.राजीव पाल, प्रेम सागर सिंह, महेन्द्र प्रताप सिंह, बादशाह सिंह, सुधीर सिंह गहरवाल, सहायक पुलिस महानिरीक्षक यू.बी.एस.चौहान, सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कपूर सिंह परिहार, अनुग्रह नारायण सिंह, रवि प्रताप सिंह, सुशील कुमार सिंह, एन.के.सिंह, एस.एन.सिंह, सुरेश चंद, अरूण सिंह, तेज बहादूर सिंह, रविन्द्र कुमार सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, प्रदीप  सिंह भदौरिया, अजय सिंह, अश्वनी सिंह, सत्येन्द्र ङ्क्षसह, मनहरण सिंह, यशवंत कुमार ङ्क्षसह, राम रतन सिंह, उमेश सिंह, अमरीश कुमार ङ्क्षसह, सुनील कुमार ङ्क्षसह, रंगबहादूर सिंह, अरविंद सिंह, मनोज सिंह, संजय सिंह राठौर, राजेश सिंह, अतेन्द्र ङ्क्षसह, शैलेन्द्र ङ्क्षसह, जितेन्द्र सिंह, राकेश कुमार सिंह, आलोक सिंह, विजय सिंह, अवधेश कुमार सिंह, शिव मंगल सिंह, आर.के.सिंह, श्रीमती अनुराधा राजपूत, श्रीमती मनुराधा राजपूत, अनिता सिंह, मंजूला सिंह, सरोज सिंह, मधु सिंह, मीना सिंह, सरिता सिंह, मुकेश कुमार सिंह, बृहस्पति सिंह परिहार, धनंजय सिंह, डॉ.सनिल कुमार सिंह, संजय सिंह, मिथलेश सिंह, रिजू कुमार सिंह, अभिषेक सिंह, बद्री प्रसाद सिंह, रमाशंकर सिंह, अरविंद सिंह, कमलेश सिंह, बंश बहादुर सिंह, सूर्यभान सिंह, बंटी सिंह राजपूत, श्याम बिहारी सिंह, संत विजय सिंह, जयपाल सिंह सेंगर, श्रीमती किरण सिंह, कंचन चंदेल, दुर्गेश ठाकुर, महेश सिंह ठाकुर, नीलम सिंह, आशा सिंह, गायत्री सिंह, सिन्धू चंदेल, संजू सिंह, प्रभा सिंह, सुषमा सिंह, आशा ठाकुर, सरोज सिंह, मंजू सिंह, स्नेहलता परिहार, हेमलता सिंह, रेखा सिंह, रामेश्वर सिंह ठाकुर, लक्ष्मण सिंह, दिलीप सिंह सहित सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे।

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