रायपुर-
राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके छिन्दवाड़ा में आयोजित अभिनंदन समारोह में शुक्रवार को शामिल हुई। समारोह में आदिवासी समाज द्वारा राज्यपाल को श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने कहा कि आज के इस कार्यक्रम में मुझे जो सम्मान दिया जा रहा है, उसके लिए मैं आभारी हूं। उन्होंने कहा कि आज मुझे जो भी उपलब्धि हासिल हुई है, वह बड़े-बुजुर्गों के आशीर्वाद से मिली है। इस अवसर पर राज्यपाल ने समस्त बड़े बुजुर्गों को नमन किया।
राज्यपाल ने कहा कि मेरी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा गांव में हुई। मैं उच्च शिक्षा के लिए शहर आई। मेरे माता-पिता की इच्छाशक्ति और प्रेरणा से मैं उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाई। प्रारंभ में जब मैंने कॉलेज में प्रवेश लिया तो मुझे परेशानी हुई, परंतु कुछ अच्छे सहपाठियों के सहयोग और शिक्षकों की प्रेरणा से सारी परेशानियों का समाधान होता गया। उसी दौरान मैं रोटरी क्लब और एनएसएस से जुड़ी, जिससे मेरी नेतृत्व क्षमता का विकास हुआ। मैंने विद्यार्थियों की समस्याओं को समझा और समाधान का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि बाद में शिक्षकों की प्रेरणा से मैंने तामिया महाविद्यालय में एक सहायक प्राध्यापक के रूप में शिक्षकीय कार्य प्रारंभ किया। वहां आमजनों की समस्या से परिचित हुई और धीरे-धीरे सार्वजनिक जीवन में जाने की प्रेरणा मिली। इसके बाद मैं विधायक के पद पर निर्वाचित हुई और मंत्री पद का दायित्व भी संभाला। उन्होंने कहा कि इसके पश्चात् राज्यसभा सदस्य, राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष के पद पर कार्य करने का मौका मिला।
सुश्री उइके ने कहा कि आज मैं छत्तीसगढ़ के राज्यपाल के पद पर कार्य कर रही हूं। मुझे जो भी पद मिला, उसे कर्तव्यनिष्ठा से समर्पित होकर कार्य करती रही और मुझे काम करने का अवसर मिलता रहा। वास्तव में जो भी समाज के लिए बिना अपेक्षा के कार्य करता है, उसे समाज में जगह मिलती है और समाज उसे वंदनीय मानता है। इस अवसर पर डॉ. रजनीकांत परते, श्री अभय ठाकुर, डॉ. दीपेन्द्र सलामे, डॉ. संदीप ठाकरे, डॉ. हर्षवर्धन कुडापे, सुश्री माधुरी भलावी एवं श्री अभय सिंह ठाकुर उपस्थित थे।