केंद्र ने दो सरकारी बैंकों के निजीकरण पर मुहर लगा दी है। नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक को विनिवेश के लिए चुना गया है। दोनों बैंकों में सरकार चरणबद्ध तरीके से अपनी हिस्सेदारी घटाएगी और पहले चरण में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेची जा सकती है
सूत्रों के मुताबिक, दोनों बैंकों के निजीकरण के लिए केंद्र सरकार बैंकिंग नियमन एक्ट में बदलाव के साथ कुछ अन्य कानून में भी संशोधन करेगी। साथ ही आरबीआई से भी इस पर अंतिम सलाह ली जाएगी। इससे पहले नीति आयोग ने निजीकरण के लिए दोनों बैंकों के नामों की सिफारिश की थी। आयोग को दो बैंक और एक बीमा कंपनी के चयन की जिम्मेदारी दी गई थी।
दोनों बैंकों के निजीकरण के लिए केंद्र सरकार बैंकिंग नियमन एक्ट में बदलाव के साथ कुछ अन्य कानून में भी संशोधन करेगी। हालांकि, कुछ बाजार विश्लेषकों का कहना है कि कोरोनाकाल में दोनों बैंकों की हिस्सेदारी बेचना सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगा। पिछले साल भी सरकार ने 2.10 लाख करोड़ रुपये विनिवेश से जुटाने का लक्ष्य बनाया था, जो हासिल नहीं हो सका। इस पर सतर्क रहना होगा।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2021 – 22 में दो बैंकों और एक बीमा कंपनी के विनिवेश के जरिये 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी। निजीकरण के लिए चुने गए दोनों बैंकों का कुल बाजार मूल्यांकन 44 हजार करोड़ रुपये है, जिसमें 31,641 करोड़ आईओबी के है l सरकार की मंशा दोनों बैंकों की हिस्सेदारी इक्विटी पूंजी के आधार पर घटाने की है। बाजार में अभी दमदार प्रदर्शन से बैंकों का मूल्यांकन भी ज्यादा है और राशि भी ज्यादा मिलेगी।