
नईदिल्ली(ए)। भारत ने यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद से रूस से 112.5 अरब यूरो का कच्चा तेल खरीदा है। सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने एक रिपोर्ट में कहा, युद्ध की शुरुआत से लेकर अब तक रूस ने जीवाश्म ईंधन निर्यात से 835 अरब यूरो का राजस्व अर्जित किया है। सीआरईए के अनुसार, भारत ने युद्ध की शुरुआत से 2 मार्च, 2025 तक रूस से 205.84 अरब यूरो मूल्य के जीवाश्म ईंधन खरीदे हैं। इसमें कच्चे तेल की खरीद के लिए 112.5 अरब यूरो शामिल हैं। इस तेल को भारतीय रिफाइनरियां पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदलती हैं। कोयले के लिए 13.25 अरब यूरो खर्च किया गया है।
रूस अब भी भारत का शीर्ष तेल स्रोत है
भारत कच्चे तेल की जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 प्रतिशत से अधिक आयात पर निर्भर है। इसने 2022-23 में कच्चे तेल के आयात पर 232.7 अरब डॉलर और 2023-24 में 234.3 अरब डॉलर खर्च किए। चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में 195.2 अरब डॉलर खर्च किए। हालांकि, रूस अब भी भारत का शीर्ष तेल स्रोत बना हुआ है। भारत ने फरवरी में रूस से 14.8 लाख बैरल प्रति दिन कच्चा तेल आयात किया, जो जनवरी में 16.7 लाख बैरल प्रति दिन था।

सस्ते भाव पर तेल खरीद रहा था भारत
युद्ध से पहले भारत परंपरागत रूप से मध्य पूर्व से तेल खरीद रहा था। फरवरी, 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के तुरंत बाद रूस से भारत ने ज्यादा तेल खरीदना शुरू कर दिया था। इसका मुख्य कारण यह था कि पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज करने के कारण रूसी तेल काफी कम कीमत पर उपलब्ध था। भारत को रूसी तेल पर मूल्य छूट एक बार तो 18-20 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई थी। हालांकि, हाल के दिनों में छूट घटकर 3 डॉलर प्रति बैरल से भी कम हो गई है। इससे भारत के कुल आयात में रूस का हिस्सा एक फीसदी से बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुंच गया।