पटना, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के दौरान एक बड़ा खुलासा किया. नीतीश कुमार ने 2 दिनों तक चलने वाले प्रदेश कार्यकारिणी के पहले दिन बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि चुनाव के वक्त उन्हें पता ही नहीं चला कि उनका दोस्त कौन है और दुश्मन कौन?राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं कि नीतीश कुमार का यह बयान सहयोगी दल बीजेपी को लेकर दिया गया है, क्योंकि बैठक में चुनाव हारने वाले कई जेडीयू प्रत्याशियों ने इस बात का जिक्र किया कि उनकी हार लोक जनशक्ति पार्टी की वजह से नहीं बल्कि बीजेपी की वजह से हुई है.सूत्रों के मुताबिक, बैठक में जिन जेडीयू नेताओं ने उन्हें चुनाव में मिली हार के लिए बीजेपी के रोल पर सवाल उठाया उनमें चंद्रिका राय, बोगो सिंह, जय कुमार सिंह, ललन पासवान, अरुण मांझी और आसमां परवीन शामिल हैं. इन नेताओं ने साफ कहा कि चुनाव में उनकी हार लोक जनशक्ति पार्टी की वजह से नहीं बल्कि बीजेपी की वजह से हुई है.मटिहानी विधानसभा से चुनाव हारने वाले जनता दल यूनाइटेड प्रत्याशी बोगो सिंह ने कहा कि पूरे चुनाव में एक नारा चारों तरफ गूंज रहा था, एलजेपी-बीजेपी भाई-भाई. इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इसका खामियाजा जेडीयू को भुगतना पड़ा. जो बात सच है उसे उठाना बेहद जरूरी है. उन्होंने आगे कहा कि जेडीयू को हराने में एलजेपी से ज्यादा जिम्मेदार बीजेपी है. एलजेपी का कोई वजूद ही नहीं है. वह तो पूरी प्लानिंग के तहत काम हुआ. बीजेपी के वोटर ने मुझे वोट नहीं दिया.
मौन होकर सुन रहे थे नीतीश
गौर करने वाली बात है कि जिस वक्त जनता दल यूनाइटेड के नेता बीजेपी को लेकर आग उगल रहे थे, उस दौरान नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह मौन होकर सबकी बातें सुन रहे थे. नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार चुनाव से 5 महीने पहले ही एनडीए में सभी विषयों पर बात हो जानी चाहिए थी, मगर ऐसा नहीं हुआ.नीतीश कुमार ने कहा कि जनता दल यूनाइटेड के बिहार में 45 लाख सदस्य हैं, मगर इसके बावजूद भी चुनाव के वक्त जमीनी स्तर तक पार्टी की बातें नहीं पहुंच पाई जिसकी वजह से पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. नीतीश ने इस बात को लेकर भी निराशा जताई कि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में बिहार के लिए जो काम किया है उसे वह जनता तक नहीं पहुंचा सके.