नईदिल्ली(ए)। यदि दुनियाभर की सभी छतों को सोलर पैनलों से कवर कर दिया जाए तो इससे वैश्विक तापमान में कमी आ सकती है। इस विषय पर चीन के शोधकर्ताओं ने सिंगापुर और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के विशेषज्ञों के साथ मिलकर एक अध्ययन किया है। इसके नतीजे प्रतिष्ठित जर्नल नेचर क्लाइमेट चेंज में प्रकाशित हुए हैं। शोध के अनुसार यदि परंपरागत ऊर्जा स्रोतों की जगह सौर ऊर्जा को प्राथमिकता दी जाए और सभी छतों पर सोलर पैनल लगा दिए जाएं तो पृथ्वी का औसत तापमान 0.13 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है। यह एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष है, क्योंकि वर्तमान में वैश्विक तापमान पहले ही 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा पार कर चुका है। इस अध्ययन में यह विश्लेषण किया गया कि दुनिया में कुल कितने क्षेत्रफल की छतें मौजूद हैं। उन पर सौर पैनल लगाने से कितनी ऊर्जा उत्पन्न हो सकती है। इसके साथ ही शोधकर्ताओं ने इस बदलाव के पर्यावरणीय लाभों का भी आकलन किया।
जीवाश्म ईंधन की जगह सौर ऊर्जा का उपयोग
अध्ययन में यह भी जांचा गया कि यदि कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधन से बनने वाली बिजली की जगह सौर ऊर्जा का उपयोग हो तो जलवायु परिवर्तन को रोकने में कितनी मदद मिलेगी। वैज्ञानिकों ने उस धारणा को चुनौती दी है जो मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन को रोकना असंभव है। इसके लिए उन्होंने पूरी दुनिया की छतों को एक सौर ऊर्जा स्रोत के रूप में देखने की कल्पना की और उनकी कुल क्षमता का अनुमान लगाया। शोध में गणना की गई कि दुनियाभर की छतों का कुल क्षेत्रफल लगभग 2,86,393 वर्ग किलोमीटर है। यदि इसे देशों के हिसाब से देखें तो चीन में सबसे अधिक 74,426 वर्ग किलोमीटर छतें हैं, जबकि अमेरिका 30,928 वर्ग किलोमीटर के साथ दूसरे और भारत 23,087 वर्ग किलोमीटर के साथ तीसरे स्थान पर है।

तापमान कम करने में सौर ऊर्जा की भूमिका महत्वपूर्ण
शोधकर्ताओं ने दुनिया को अलग-अलग क्षेत्रों में विभाजित कर यह अनुमान लगाया कि प्रत्येक क्षेत्र में सौर पैनल कितनी ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं और इससे कार्बन उत्सर्जन में कितनी कमी आएगी। इसके बाद उन्होंने गणना की कि यदि हर क्षेत्र में सौर ऊर्जा का उपयोग हो तो पृथ्वी के तापमान पर कितना प्रभाव पड़ेगा। नतीजों के अनुसार 2050 तक यह बदलाव वैश्विक तापमान में 0.05 से 0.13 डिग्री सेल्सियस की कमी ला सकता है।
जलवायु संकट का समाधान: हालांकि शोधकर्ताओं ने माना कि सभी छतों को सोलर पैनलों से कवर करना व्यावहारिक रूप से मुश्किल है, लेकिन उनका अध्ययन यह दर्शाता है कि सौर ऊर्जा को अपनाकर जलवायु संकट को काफी हद तक कम किया जा सकता है। पेरिस जलवायु समझौते के तहत वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यदि कार्बन उत्सर्जन पर लगाम नहीं लगाई गई तो सदी के अंत तक तापमान 2.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।