नई दिल्ली(ए)। केंद्र सरकार ने गुजरात में अहमदाबाद जिला अदालत से अनुरोध किया है कि वह कारोबारी गौतम अदाणी को कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी और 265 मिलियन डॉलर (23,05 करोड़ रुपये) की रिश्वत मामले में अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (यूएससीईसी) से जारी समन को सौंपे। वकीलों ने बताया कि यह समन हेग संधि, 1965 के तहत जारी किया गया है। इस संधि के तहत, इससे जुड़े देश एक दूसरे के नागरिकों को कानूनी दस्तावेज सौंपने में सहायता के लिए सीधे अनुरोध कर सकते हैं। इस संधि के तरह प्रतिवादियों को सीधे दस्तावेज नहीं सौंपा जा सकता है। समन मिलने पर अदाणी या उनके वकील को अमेरिका में इस मामले में पेश होना होगा।
अदाणी और विधि मंत्रालय से अभी कोई बयान सामने नहीं आया
केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने 25 फरवरी में इस समन को अहमदाबाद की सेशन कोर्ट को भेजा था, ताकि इसे गौतम अदाणी को उनके स्थानीय पते पर औपचारिक रूप से सौंपा जा सके। भारत में आपराधिक मामलों के वकील अर्शदीप खुराना ने कहा कि ऐसा लगता है कि समन न्यूयॉर्क की कोर्ट में पेश होने के लिए है। अगर भारतीय अदालत के जरिये समन दिया जाता है तो प्रतिवादियों को पेश होना पड़ेगा। इस घटनाक्रम पर अदाणी और विधि मंत्रालय से अभी कोई बयान सामने नहीं आया है। एक अन्य वकील ने कहा कि समन से कारोबारी के लिए प्रत्यर्पण का खतरा नहीं है। प्रत्यर्पण कार्यवाही केवल तभी सामने आती है जब अमेरिकी अदालत गिरफ्तारी का वारंट जारी करती है।

भारतीय सरकारी अधिकारियों को करोड़ों-अरबों रुपयों की रिश्वत का आरोप
अमेरिकी नियामक की वेबसाइट के अनुसार, यूएससीईसी ने गौतम अदाणी और उनके भतीजे सागर अदाणी पर आरोप लगाया है कि उन्होंने भारतीय सरकारी अधिकारियों को करोड़ों-अरबों रुपयों की रिश्वत दी ताकि बाजार से ऊंची दरों पर बिजली बिक्री करार को हासिल किया जा सके। यह मामला अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और अमेरिकी सोलर एनर्जी कंपनी अजुरे पावर से जुड़ा है।