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नई दिल्ली(ए)। शहर विकास के इंजन कहे जाते हैं, लेकिन वे किस तरह के इंजन हैं, विकास में उनका क्या योगदान है और इस योगदान के पैमाने क्या हैं। यह जानने के लिए केंद्र सरकार ने एक अंतर मंत्रालयी समिति का गठन किया है।
अपनी तरह की इस पहली कोशिश के तहत यह समिति शहरी क्षेत्र की नए सिरे से परिभाषा तय करने के साथ ही सिटी इकोनॉमिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी में किसी शहर के योगदान को तय करने के तौर-तरीके बताएगी।दैनिक जागरण को मिली जानकारी के अनुसार, नीति आयोग के सदस्य अरविंद वीरमानी को इसका अध्यक्ष बनाया गया है और इसमें जबलपुर, सूरत, पुणे, मुजफ्फरपुर के नगर आयुक्त भी सदस्य के रूप में शामिल किए गए हैं। 26 सदस्यीय यह समिति एक वर्ष में अपनी रिपोर्ट देगी। समिति में आवास और शहरी कार्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार, नीति आयोग के संयुक्त सचिव स्तर तक के प्रतिनिधि, वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के सलाहकार, राजस्व विभाग के प्रतिनिधि, श्रम और रोजगार मंत्रालय के संयुक्त सचिव, आरबीआइ के कार्यकारी निदेशक के साथ ही महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, त्रिपुरा और बिहार के आर्थिक और सांख्यिकी विभाग के निदेशकों को भी शामिल किया गया है।
समिति के गठन संबंधी आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि वीरमानी की अध्यक्षता वाला समूह भारतीय परिप्रेक्ष्य में सिटी इकोनमिक प्रोडक्ट की परिभाषा तय करेगा। इसी क्रम में आर्थिक क्षेत्रों की पहचान की परिभाषा भी की जाएगी, जिसमें शहरी इलाके और नगरीय-ग्रामीण संधि क्षेत्र भी शामिल हैं।आर्थिक क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने का अपना महत्व है, क्योंकि इससे यह समझने में आसानी होगी कि शहर के किसी हिस्से में आर्थिक संभावनाएं क्या हैं।