नईदिल्ली(ए)। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने संवेदनशील क्षेत्रों में बिना भूकंपीय अध्ययन के खनन पर रोक का निर्देश उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के पापौन गांव में अवैध सोप स्टोन खनन के मामले की सुनवाई के दौरान दिया। अदालत ने बागेश्वर के जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि जब तक आवश्यक वैज्ञानिक मूल्यांकन और स्वीकृति प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक क्षेत्र में किसी भी प्रकार के खनन की अनुमति न दी जाए। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में तब तक कोई भी खनन गतिविधि नहीं होनी चाहिए जब तक कि विशेषज्ञ समिति द्वारा विस्तृत भूकंपीय अध्ययन पूरा नहीं कर लिया जाता। इस समिति में केवल प्रतिष्ठित संस्थानों के अनुभवी भूकंप वैज्ञानिकों को ही शामिल किया जाएगा।निर्देश जस्टिस सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के पापौन गांव में अवैध सोप स्टोन खनन के मामले की सुनवाई के दौरान दिया। अदालत ने बागेश्वर के जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि जब तक आवश्यक वैज्ञानिक मूल्यांकन और स्वीकृति प्राप्त नहीं हो जाती, तब तक क्षेत्र में किसी भी प्रकार के खनन की अनुमति न दी जाए। एनजीटी ने स्पष्ट किया कि पापौन गांव का इलाका भूगर्भीय दृष्टि से अत्यधिक नाजुक है। पत्थरों की संरचना कमजोर होने के कारण यहां अक्सर भूस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं। ऐसे में बिना वैज्ञानिक आकलन के खनन गतिविधियों को बढ़ावा देना न केवल पर्यावरण बल्कि मानवीय जीवन और बुनियादी संरचनाओं के लिए भी गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।
अदालत ने निर्देश दिया कि भूकंपीय और पर्यावरणीय अध्ययन एक संयुक्त समिति द्वारा किया जाएगा, जिसमें राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसईआईएए), उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी), जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, और अन्य संबंधित विशेषज्ञ शामिल होंगे। समिति को तीन महीनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

30 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट देने को कहा
एनजीटी ने निर्देश दिया कि यूकेपीसीबी व बागेश्वर के जिलाधिकारी को 30 सितंबर 2025 तक ट्रिब्यूनल के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।