नईदिल्ली(ए)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को यूनानी चिकित्सा पद्धति की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत शिक्षा, अनुसंधान, स्वास्थ्य देखभाल और यूनानी प्रणाली की दवाओं के उत्पादन के मामले में दुनिया में अग्रणी है। नई दिल्ली में यूनानी दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एकीकृत स्वास्थ्य समाधान के लिए यूनानी चिकित्सा में नवाचार: एक नई दिशा पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि आज का दिन हकीम अजमल खान को याद करने का अवसर है। उनके सम्मान में 2016 से इस दिन को यूनानी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हकीम अजमल खान ने भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति का प्रसार किया। उन्होंने नवाचार के कई उदाहरण प्रस्तुत किए। उनके प्रयासों के कारण भारत में यूनानी चिकित्सा पद्धति को व्यापक रूप से अपनाया गया।
राष्ट्रपति ने कहा कि आज भारत शिक्षा, शोध, स्वास्थ्य सेवा और यूनानी पद्धति में दवाओं के निर्माण के मामले में दुनिया में अग्रणी है। उन्होंने खुशी जताई कि यूनानी पद्धति से जुड़े शोधकर्ता, चिकित्सक आधुनिक पद्धतियों और प्रौद्योगिकी के उपयोगी आयामों को अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सम्मेलन में यूनानी चिकित्सा में साक्ष्य आधारित आधुनिक शोध प्रवृत्तियों और आयुष/पारंपरिक चिकित्सा के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग का उपयोग: संभावनाएं और चुनौतियां जैसे समकालीन विषयों पर चर्चा होगी। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश ने स्वास्थ्य के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। विभिन्न चिकित्सा प्रणालियों को उचित सम्मान देकर उन्हें सशक्त बनाने का प्रयास किया गया है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के अनुसार यूनानी सहित आयुष चिकित्सा प्रणालियों को मुख्यधारा में लाने पर विशेष जोर दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा प्रणाली के लिए बने राष्ट्रीय आयोग के निर्देशन में यूनानी चिकित्सा के अनेक शिक्षण संस्थानों में अध्ययन और शोध कार्य चल रहा है। यूनानी मेडिकल कॉलेजों में एमडी और पीएचडी कार्यक्रम भी शुरू किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यूनानी चिकित्सा विज्ञान को आगे बढ़ाने वाली नई पीढि़यां ज्ञान और अनुभव की प्राचीन विरासत को मजबूत बनाएंगी।